कैसे करें पर्यावरण संरक्षण, बच्चों को आसान तरीके से सिखाएं
इस साल तापमान बहुत तेजी से बढ़ा है। भारत के कई शहरों में पारा 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। यह अत्यंत गंभीर स्थिति है। इस स्थिति का एक प्रमुख कारण पर्यावरण प्रदूषण या प्रकृति का दोहन है।
प्रदूषण के कारण प्रकृति पर नकारात्मक असर पड़ता है और ग्लोबल वार्मिंग की स्थिति बन सकती है। इस कारण कई वैज्ञानिक 21वीं सदी को पर्यावरण को हो रहे नुकसान के कारण विनाश की सदी मानते हैं। पर्यावरण का सबसे बड़ा दुश्मन वर्तमान में इंसान ही है। मानव रोजाना कई गलतियों से पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। पर्यावरण को दूषित करने वाले कारकों या गलतियों को नियंत्रित करके पर्यावरण संरक्षण किया जा सकता है।
आने वाली पीढ़ी के लिए रहने योग्य पर्यावरण बनाने के लिए बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की सीख दें। उन्हें पर्यावरण संरक्षण से बचाव के लिए तरीके बता सकते हैं। यहां वह तरीके बताए गए हैं, जो बच्चों में पर्यावरण संरक्षण की आदत को शामिल कर सकते हैं।
प्लास्टिक और पॉलीथिन के नुकसान
प्लास्टिक की बोतल या अन्य सामान प्रकृति के लिए काफी नुकसानदायक है। इसके अलावा पॉलीथिन का उपयोग भी पर्यावरण के लिए घातक है। इन दोनों का बड़ी मात्रा में इस्तेमाल होता है, जो मृदा प्रदूषण का प्रमुख कारण है। बच्चों को प्लास्टिक और पॉलीथिन के इस्तेमाल से रोकें।
एसी पर कंट्रोल
गर्मी के दिनों में ठंडक पाने के लिए एसी का इस्तेमाल बढ़ जाता है। एसी ठंडी हवा तो देता है लेकिन इससे पर्यावरण दूषित होता है। बच्चों को एसी के इस्तेमाल से होने वाले दुष्प्रभावों के बारे में सिखाएं। साथ ही खुद भी एसी का उपयोग कम करें ताकि प्रदूषण कम करने में अपना योगदान दे सकें।
स्वच्छता की आदत
बच्चों को अपने आसपास स्वच्छता रखने की आदत लगाएं। उन्हें सूखे और गीले कूड़े का फर्क सिखाएं। उन्हें बताएं कि पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए रास्ते में कहीं पर भी कुछ भी नहीं फेंकना चाहिए। डस्टबिन का उपयोग करना सिखाएं। घर के आसपास, पार्क आदि को साफ रखने के टिप्स दें ताकि वह पर्यावरण को और अधिक दूषित न करें।
पौधरोपण
पर्यावरण के लिए पौधे संजीवनी की तरह होते हैं। पेड़ पौधे स्वच्छ वायु देते हैं जो जीवन के लिए आवश्यक है। बच्चों को पेड़-पौधों का महत्व बताएं और पौधारोपण के लिए प्रोत्साहित करें। घर पर एक दो गमले में बच्चों से पौधे लगवाएं और उस पौधे की जिम्मेदारी बच्चों को दें ताकि वह पौधे को बड़े होने तक पोषित करें और इस काम में आनंद महसूस कर सकें.