जाने ह्यूमन ट्रायल के बाद वैक्सीन का बाजार में आने में कितना लगेगा वक्त…
कोरोना वायरस से निजात दिलाने वाली वैक्सीन कब तक बनेगी? हर किसी के जेहन में आज यही सवाल गूंज रहा है. दुनियाभर में कई वैक्सीन कैंडिडेट्स की खोज इस पर जारी है. वर्तमान में लगभग 18 वैक्सीन कैंडिडेट्स को ह्यूमन ट्रायल स्टेज पर टेस्ट किया जा रहा है, जिसमें से दो भारतीय वैक्सीन भी हैं.
हैदराबाद की ‘भारत बायोटेक’ और अहमदाबाद की कंपनी ‘जायडस कैडिला’ ने ये वैक्सीन तैयार की हैं. जुलाई के मध्य में इनका ट्रायल शुरू हो चुका है. किसी भी वैक्सीन का आखिरी चरण ह्यूमन ट्रायल ही होता है. ह्यूमन ट्रायल काफी लंबा होता है. कई बार नतीजे तक पहुंचने में सालों लग जाते हैं.
क्या होता है ह्यूमन ट्रायल
किसी भी दवा या ड्रग का इंसान पर परीक्षण ह्यूमन ट्रायल कहलाता है. इस परीक्षण में मुख्य रूप से दो पहलुओं की जांच की जाती है. पहला, वैक्सीन या दवा सुरक्षित है या नहीं. दूसरा, क्या दवा वाकई अपना काम करने में कारगर है. क्या वो रोगजनक वायरस के खिलाफ शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने में सक्षम है.
ह्यूमन ट्रायल के किसी विशेष चरण में कितने स्वयंसेवकों का हिस्सा होना चाहिए, इसके लिए कोई अंतरराष्ट्रीय मानक निर्धारित नहीं है. आमतौर पर, इसके पहले चरण में कम लोगों पर दवा को टेस्ट किया जाता है. जबकि दूसरे और तीसरे चरण में लोगों के बड़े समूह पर टेस्टिंग होती है. हालांकि US की फूड एंड ड्रग ऑथोरिटी ने इसमें लोगों की संख्या को लेकर जानकारी दी है.
1. ह्यूमन ट्रायल के पहले चरण में वॉलंटियर्स की संख्या 20 से 100 के बीच हो सकती है.
2. ह्यूमन ट्रायल के दूसरे चरण में वॉलंटियर्स की संख्या 100 से अधिक हो सकती है.
3. ह्यूमन ट्रायल के तीसरे स्टेज में वॉलंटियर्स की संख्या 1000 के पार हो ससकती है
4. ह्यूमन ट्रायल के चौथे व अंतिम चरण में हजारों लोगों पर दवा या ड्रग को टेस्ट किया जाता है.
भारत में कोरोना वायरस की दो वैक्सीन को ह्यूमन ट्रायल स्टेज पर टेस्ट किया जा रहा है. पहली वैक्सीन हैदराबाद की भारत बायोटेक ने ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) के साथ मिलकर बनाई है, जबकि दूसरी वैक्सीन अहमदाबाद की प्राइवेट फार्मास्यूटिकल कंपनी जायडस कैडिला ने विकसित की है.
भारत बायोटेक: भारत बायोटेक द्वारा विकसित वैक्सीन Covaxin का ह्यूमन ट्रायल जुलाई के मध्य में शुरू हो चुका है. ह्यूमन ट्रायल के पहले चरण में 375 लोग हिस्सा लेंगे. शोधकर्ताओं का अनुमान है कि परीक्षणों के संयुक्त चरणों को पूरा होने में एक वर्ष और तीन महीने का समय लग सकता है.
जायडस कैडिला: जायडस कैडिला द्वारा बनाई गई वैक्सीन ZyCoV-D भी जुलाई के मध्य में ह्यूमन ट्रायल स्टेज पर पहुंच चुकी है. वैक्सीन के पहले और दूसरे स्टेज की टेस्टिंग में कुल मिलाकर 1,048 लोग भाग लेंगे, जिसे पूरा होने में एक साल का वक्त लग सकता है.
WHO की मानें तो, दुनियाभर में चल रहे वैक्सीन ट्रायल की रेस में 7 जुलाई 2020 तक कुछ ही वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के तीसरे चरण में पहुंच पाई हैं. इनमें सिनोवैक (चीन) और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका (ब्रिटेन) के नाम ही शामिल हैं. दवा बनाने वाली दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (भारत) ऑक्सफोर्ड की इस वैक्सीन का प्रोडक्शन कर रही है. इसके अलावा, US की मॉडर्ना इंक भी अपनी फाइनल टेस्टिंग में पहुंच चुकी है.