कब और क्यों मनाई जाती है मौनी अमावस्या

हर महीने में पितरों को प्रसन्न करने के लिए अमावस्या तिथि पड़ती है। माघ माह (Magh Month 2025) में मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) मनाई जाती है। मौनी अमावस्या के दिन पितरों का पिंडदान और तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ऐसा करने से पितरों को मुक्ति मिलती है। साथ ही व्यक्ति को पितरों की कृपा प्राप्त होती है।

मौनी अमावस्या के अवसर पर पिंडदान और तर्पण करने का विधान है। साथ ही श्रद्धा अनुसार अन्न और धन का दान किया जाता है। इसके अलावा पवित्र नदी में स्नान और मौन व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इन शुभ कामों को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और व्यक्ति पर पितरों को कृपा हमेशा बनी रहती है।

इस दिन मौन व्रत करने से मन काबू में होता है और ध्यान में एकाग्रता बढ़ती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya Significance) का पर्व कब और क्यों मनाया जाता है? अगर नहीं, तो चलिए आपको इस आर्टिकल में बताएंगे इसकी वजह के बारे में।

कब मनाते हैं मौनी अमावस्या (When is Mauni Amavasya celebrated)
पंचांग के अनुसार, हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन मौनी अमावस्या का त्योहार मनाया जाता है। इस बार मौनी अमावस्या 29 जनवरी (Kab Hai Mauni Amavasya 2025) को है। इसे माघ अमावस्या के नाम से भी जाना है।

शुभ मुहूर्त (Mauni Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
माघ अमावस्या (Mauni Amavasya 2025 Puja Time) की तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को रात 07 बजकर 35 मिनट पर होगी और 29 जनवरी को शाम को 06 बजकर 05 मिनट पर खत्म होगी।

क्यों मनाते हैं मौनी अमावस्या (Why is Mauni Amavasya celebrated)
सनातन धर्म शास्त्रों मौनी अमावस्या के पर्व का विशेष महत्व बताया गया है। अमावस्या तिथि जगत के पालनहार भगवान विष्णु और पितरों को समर्पित है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन दान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है। इसके अलावा पवित्र नदी में स्नान करने का विधान है। ऐसा करने से व्यक्ति को पापों से छुटकारा मिलता है। इस दिन मौन व्रत करने से वाणी शुद्ध और आध्यात्मिक उन्नति है।

इन चीजों का करें दान (Mauni Amavasya Daan)
मौनी अमावस्या के दिन पूजा-अर्चना करने के बाद मंदिर या फिर गरीब लोगों में गर्म कपड़े का दान करें। मान्यता है कि वस्त्र का दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही जीवन में कोई भी बाधा नहीं आती है।

इसके अलावा अन्न और धन का दान भी किया जाता है। ऐसा करने से हमेशा अन्न और धन के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही व्यक्ति को पितृ दोष की समस्या से छुटकारा मिलता है। जीवन खुशहाल होता है।

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