दिल्ली की अजब-गजब नाम वाली गलियों का जानें इतिहास

पुरानी दिल्ली में किस्से कहानियों का दौर कब से शुरू हुआ, यह तो बताना मुश्किल है, लेकिन ये कहानियां यहीं पुरानी दिल्ली की संकरी गलियों में पनपी और पली-बढ़ी हुई हैं. यह हम यकीन से कह सकते हैं. गुजरते वक्त के साथ विकास की दौड़ में लोग बहुत आगे बढ़ गए, लेकिन ये कहानियां आज भी पुरानी दिल्ली में काफी ज्यादा मशहूर हैं. खासकर पुरानी दिल्ली की अजब-गजब नाम वाली गलियों की कहानीयां और उस से जुडा इतिहास तो पूरी दिल्ली और देश में काफी ज्यादा प्रसिद्ध है, लेकिन अब इस युग की नई पीढ़ी इसे भूल गई है. इसलिए आज हमने अपनी इस रिपोर्ट में इन सभी गलियों की कहानीयों को एक-एक करके आपके समक्ष लाने की कोशिश की है.

बुलबुली खाना गली
इसे बुलबुल-ए-खाना की गली कहकर बुलाया जाता है. पुरानी दिल्ली में किस्सागोई को जीवंत किए टैलेंट ग्रुप के निर्देशक इरशाद आलम कहते हैं कि यह गली कई कहानियों का घर है. कहा जाता है कि यहां तीन बुलबुल रहा करती थीं. आज यहां बुलबुल तो नहीं दिखती, लेकिन हां लोग पक्षियों के दीवाने हैं. छतों पर आपको कबूतरों का झुंड दिखाई देगा. यहीं पर दिल्ली की पहली महिला शासक रजिया सुल्ताना की मजार है.

बंदूक वाली गली
कूचा पंडित में बंदकू वाली गली का नाम क्यों पड़ा, यह बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है. कुछ लोग इसे 1857 की क्रांति से जोड़कर देखते हैं. कुछ लोगों का कहना है कि यहां पहले ऐसे लोग रहते थे, जिनके यहां बंदूकें थी. इस कारण भी इसका नाम बंदूक वाली गली पड़ गया. इतिहासकार आरवी स्मिथ कहते हैं कि इन नामों के पीछे सिद्धांत नहीं सिर्फ कयास लगाए जाते हैं.

इमली वाली गली
कहते हैं कि पुरानी दिल्ली में पहले एक पहाड़ होता था, जिसे भोजला पहाड़ी कहकर बुलाते थे. इस पहाड़ के उपर एक इमली का बड़ा सा पेड़ था. अब ना तो पहाड़ी है, ना ही इमली का पेड़, लेकिन गली आज भी पहाड़ी इमली के नाम से ही जानी जाती है. यही नहीं यहां आज भी घरों के सामने जामुन, शहतूत, नीम आदि के पेड़ दिखते हैं. हालांकि आबादी बढ़ने के साथ-साथ घरों का आकार छोटा होता चला गया.

अखाड़े वाली गली
पुरानी दिल्ली में यूं तो कई अखाड़े आज भी मौजूद है लेकिन अखाड़े वाली गली का इतिहास अनोखा है. दरअसल, इस गली में कई अखाड़े थे. कहा जाता है कि अखाड़े में महिलाओं का प्रवेश वर्जित था. बदलते दौर में इन अखाड़ों का अस्तित्व खत्म होता जा रहा है. खुद अखाड़े वाली गली में स्थित अखाड़े की जगह जिम ने ले ली.

कल्लू खसाब गली
पुरानी दिल्ली में एक गली ऐसी भी है, जिसका नाम एक बदमाश के नाम पर रखा गया है. स्थानीय निवासी जमाल अहमद कहते हैं कि ऐसा कहा जाता है कि कल्लू नाम का एक बदमाश था. जिसके भय से लोग यहां भयाक्रांत थे. इस वजह से इस गली का नाम ही कल्लू गली पड़ गया.

घोड़े वाली गली
करोलबाग के गोशाला रोड पर घोड़े वाली गली स्थित है. यहां घोड़ों को पाला जाता है, वो भी 100 साल से. यहां के स्थानीय निवासियों की मानें तो कई परिवारों का तो यह 100 साल से भी पुराना काम है. हालांकि ऐसे परिवारों की संख्या यहां पर अब काफी कम बची है. यहां तकरीबन 35 घोड़े-घोड़ियां हैं. इतनी संख्या में ही करोलबाग के सत नगर में भी घोड़े हैं. यहां गली से गुजरते हुए आप आसानी से देख सकते हैं कि यहां किस कदर लोग जुनून के साथ घोड़े पालते हैं. बृहस्पतिवार को यहां से बड़ी संख्या में घोड़े आईटीओ स्थित गुलाब वाटिका के पास मजार तक जाती है. जहां इन घोड़ों को सड़क पर दौड़ाया जाता है. एक तरह से इसे दौड़ का ट्रायल कहा जा सकता है. यहां दौड़ में शामिल हुए घोड़ों पर लोग बोली लगाते हैं एवं फिर दिल्ली के किसी अन्य दूसरे इलाके में इनकी रेस होती है.

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