‘कांग्रेस शासन में हिंदी अनिवार्य भाषा थी’, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष का बड़ा दावा

भाजपा तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने रविवार को दावा किया कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान हिंदी अनिवार्य तीसरी भाषा थी और कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे, जिन्होंने किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में पढ़ने का विकल्प दिया।
इसके अलावा नई शिक्षा नीति (एनईपी 20202) का जिक्र करते हुए, अन्नामलाई ने कहा कि पीएम मोदी ने तमिल को कक्षा 1-5 तक अनिवार्य शिक्षा का माध्यम भी बनाया है। उन्होंने दावा किया कि कई वर्षों तक तमिलनाडु पर शासन करने के बावजूद, डीएमके ने कभी भी तमिल को शिक्षा का अनिवार्य माध्यम नहीं बनाया।
तीन भाषा नीति का किया जिक्र
उन्होंने यहां एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि चीन, जर्मनी और जापान जैसे देश महत्वपूर्ण हो गए हैं, क्योंकि वे बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देते हैं। उन्होंने कहा कि पहली दो शिक्षा नीतियों में, हिंदी अनिवार्य तीसरी भाषा थी और एनईपी 2020 के मसौदे में भी यही स्थिति है।
अन्नामलाई ने कहा कि मई 2019 में देश में पहली बार पीएम मोदी ने एनईपी के मसौदे में तीसरी भाषा को हिंदी से बदलकर किसी भी भारतीय भाषा में बदल दिया। यह 3-भाषा नीति है।
डीएमके पर साधा निशाना
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ डीएमके के खिलाफ निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी 10 साल तक कांग्रेस के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार का हिस्सा थी, जिस दौरान हिंदी अनिवार्य तीसरी भाषा थी।
उन्होंने कहा, ‘पहली बार एनईपी आपकी पसंद की तीसरी भाषा प्रदान करता है और आप तेलुगु, कन्नड़, मलयालम या हिंदी में से कोई भी पढ़ सकते हैं। यह 3-भाषा नीति है।’ एनईपी 2020 और 3-भाषा नीति के समर्थन में इस महीने की शुरुआत में शुरू किए गए सिग्नेचर कैंपेन पर अन्नामलाई ने कहा कि 18 दिनों में 26 लाख हस्ताक्षर प्राप्त हुए हैं।
मंत्रियों के बयान पर आपत्ति जताई
डीएमके पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि पार्टी ने कई हस्ताक्षर अभियान भी शुरू किए हैं, जिनमें NEET के खिलाफ अभियान भी शामिल है। उन्होंने कहा, ‘डीएमके के नीट विरोधी हस्ताक्षर अभियान का क्या हुआ, कितने लोगों ने हस्ताक्षर किए। कोई नहीं जानता।’
अन्नामलाई ने यह भी दावा किया कि मंत्रियों सहित कई डीएमके नेता उत्तर भारतीयों के बारे में बुरा बोल रहे हैं और उन्होंने इस पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि सीएम स्टालिन इस भ्रम में जी रहे हैं कि उनकी पार्टी राज्य में 2026 के विधानसभा चुनावों में 200 से अधिक सीटें जीतेगी।