Heart Attack आने पर खांसी से भी बचा सकते हैं अपनी जान

Cough CPR के जरिए आप दिल की धड़कन को कुछ देर तक कंट्रोल रख सकते हैं, जब तक मेडिकल मदद न मिल जाए। जी हां, यह एक ऐसी तकनीक है जिसे ज्यादातर लोग नहीं जानते, लेकिन सही वक्त पर इसका इस्तेमाल करने से Heart Attack की स्थिति में आपकी जान बच सकती है! आइए जानें, कफ सीपीआर कैसे काम करता है और डॉक्टर के मुताबिक इसे कब और कैसे अपनाना चाहिए।
कब आता है हार्ट अटैक?
हार्ट अटैक तब आता है जब दिल तक खून पहुंचाने वाली नसें (coronary arteries) किसी वजह से ब्लॉक हो जाती हैं। इससे दिल के कुछ हिस्से को ऑक्सीजन नहीं मिलती, और वो हिस्सा काम करना बंद कर देता है। यह स्थिति जानलेवा हो सकती है अगर समय रहते इलाज न मिले।
हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण
कई बार लोग हार्ट अटैक को पहचान नहीं पाते, लेकिन अगर आपको ये लक्षण महसूस हों, तो सावधान हो जाएं:
सीने में दबाव या जकड़न
बांह, गर्दन, जबड़े या पीठ में दर्द
ठंडा पसीना
चक्कर आना या बेहोशी जैसा महसूस होना
सांस लेने में तकलीफ
अगर आप अकेले हों और ऐसे लक्षण महसूस करें, तो तुरंत सतर्क हो जाएं, क्योंकि अगला कदम आपकी जान बचा सकता है।
क्या है कफ सीपीआर?
Cough CPR एक आपातकालीन तरीका है, जिसमें जब कोई व्यक्ति दिल के दौरे के दौरान चेतना खोने लगे, तो जोर-जोर से खांसना (cough) और गहरी सांस लेना (Deep Breathing) उसे होश में बनाए रखने में मदद कर सकता है, जब तक कि मेडिकल मदद न मिले।
यह तकनीक दिल की धड़कन को कुछ समय के लिए स्थिर रखने में मददगार हो सकती है।
कैसे करें कफ सीपीआर?
प्रोफेसर डॉ. बी पी एस त्यागी के मुताबिक, हार्ट अटैक आने पर अगर आपके पास खून पतला करने की कोई दवा है, तो सबसे पहले उसे खा लें। इसके बाद कफ सीपीआर शुरू करें, जिसका तरीका कुछ इस प्रकार है:
गहरी सांस लें: जैसे ही आपको लगे कि हार्ट अटैक आ रहा है, तुरंत गहरी सांस लें ताकि फेफड़ों में ऑक्सीजन भर सके।
जोर से खांसें: गहरी सांस के तुरंत बाद, जोर से और लंबे समय तक खांसी करें, जैसे आप सीने से कफ निकाल रहे हों।
हर 2 सेकंड पर दोहराएं: यह प्रक्रिया हर दो सेकंड में एक बार करें, यानी गहरी सांस, फिर जोर की खांसी।
यह तब तक जारी रखें जब तक होश बना रहे या मदद न पहुंचे। बता दें, यह प्रक्रिया दिल को ऑक्सीजन देता है और ब्लड सर्कुलेशन चालू रखने में मदद करता है।
ध्यान दें- यह इलाज नहीं है
कफ सीपीआर केवल एक अस्थायी तकनीक है। इसका मतलब यह नहीं कि आपको अस्पताल जाने की जरूरत नहीं। जैसे ही आपको हार्ट अटैक के लक्षण महसूस हों, तुरंत एंबुलेंस बुलाएं या मदद मांगें। यह तकनीक केवल तब कारगर हो सकती है जब आप बिल्कुल अकेले हों और तुरंत मेडिकल हेल्प न मिल सके।
डॉक्टरों की क्या सलाह है?
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (AHA) और कई कार्डियोलॉजिस्ट मानते हैं कि कफ सीपीआर कुछ खास परिस्थितियों में काम कर सकता है, लेकिन यह हर व्यक्ति के लिए उपयुक्त नहीं होता। खासकर तब, जब हार्ट अटैक का टाइप अलग हो। इसलिए इसे आजमाने से पहले इसकी जानकारी होना जरूरी है।
डॉक्टरों का कहना है कि कफ सीपीआर से कुछ लोगों की जान बची है, लेकिन यह तरीका तभी अपनाएं जब आपको सही जानकारी हो और कोई दूसरा ऑप्शन न हो।
कब नहीं करना चाहिए कफ सीपीआर?
अगर आपको खांसी करने में दिक्कत हो
अगर आप पहले से सांस की बीमारी से जूझ रहे हों
अगर आपके पास तुरंत मेडिकल हेल्प उपलब्ध है
अगर आप पैनिक में हैं और तकनीक को सही तरीके से नहीं अपना पा रहे
इन बातों का रखें ध्यान
CPR की बेसिक ट्रेनिंग लें
अपने परिवार और दोस्तों को भी इस तकनीक के बारे में बताएं
अपने फोन में इमरजेंसी नंबर सेव रखें
हेल्थ चेकअप समय-समय पर कराते रहें
हार्ट अटैक एक आपातकालीन स्थिति है, लेकिन अगर आप सतर्क रहें और सही जानकारी रखते हों, तो जान बचाना संभव है। कफ सीपीआर एक अस्थायी लेकिन जरूरी तरीका हो सकता है, खासकर तब जब आप अकेले हों और मदद आने में देर हो रही हो। याद रखें कि सतर्कता, जानकारी और शांत दिमाग हार्ट अटैक के दौरान आपकी सबसे बड़ी ताकत हैं।