किसानों पर लाठीचार्ज को लेकर बोले बेनीवाल- अन्याय करने वालों की नाक रगड़वाकर दिलाएंगे हक का पैसा
जिले के सरासनी गांव में पिछले 137 दिनों से धरने पर बैठे किसानों पर बीते बुधवार पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया। इसके बाद घायल किसानों को नागौर के पंडित जवाहरलाल नेहरू राजकीय चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया है।
सरासनी गांव में निजी सीमेंट कंपनी के विरोध में पिछले 137 दिनों से धरने पर बैठे किसानों पर बीते बुधवार को पुलिस ने बर्बरता से लाठीचार्ज किया। घटना के बाद घायल किसानों को नागौर के राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है। जिला प्रशासन ने किसानों और कंपनी के बीच दो महीने के भीतर समझौता कराने का दावा किया है।
गौरतलब है कि जिले के जायल तहसील के सरासनी गांव के किसान निजी सीमेंट कंपनी के खिलाफ उचित मुआवजे और समान व्यवहार की मांग को लेकर आंदोलनरत थे। किसानों का आरोप है कि कंपनी सभी किसानों को समान मुआवजा नहीं दे रही है। पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किए जाने की घटना के बाद राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के सुप्रीमो और नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने घायल किसानों से मुलाकात की। बेनीवाल ने घटना की अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों से तुलना करते हुए कहा, “जिसने भी किसानों पर यह अन्याय किया, उसे माफी नहीं मिलेगी। मेरी पार्टी रहे या नहीं, जिसने भी किसान भाइयों के साथ ऐसा बर्बरतापूर्वक व्यवहार किया है, उसे नाक भी रगड़वाऊंगा और उनके हक के रुपए भी दिलवाऊंगा। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि किसानों के साथ अन्याय के खिलाफ बड़ा आंदोलन किया जाएगा।
दो दिन पहले खींवसर के पूर्व विधायक नारायण बेनीवाल ने भी घायलों से मुलाकात कर आंदोलन को जारी रखने का आह्वान किया था। उन्होंने जिला प्रशासन और निजी कंपनी पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था। नारायण बेनीवाल ने नागौर के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्रसिंह खींवसर पर निशाना साधते हुए कहा कि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने मांग की कि अस्पताल की स्थिति तुरंत सुधारी जाए।
घटनास्थल का दौरा करने के बाद कांग्रेस नेता मनीष मिर्धा ने पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इसे नागौर पुलिस का सबसे खौफनाक चेहरा बताया। उन्होंने कहा कि किसानों की जायज मांगों को लेकर इस तरह की बर्बरता अस्वीकार्य है। पुलिस ने न केवल किसानों पर लाठियां चलाईं, बल्कि उनके खेतों में आगजनी भी की।
इधर प्रशासन ने कंपनी को सारी स्थिति से निपटने के लिए दो महीने का समय दिया है लेकिन किसानों के बीच आशंका है कि यह केवल टालमटोल है। आंदोलन के दौरान किसानों ने स्पष्ट कर दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे पीछे नहीं हटेंगे।