क्या काउंसिल ने पॉपकॉर्न पर GST बढ़ाई है?

चीनी मिली हुई या लगभग सभी प्रकार के मीठे कंफेक्शनरी चैप्टर 17 के एचएस 1704 के तहत आते हैं जिन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। वहीं नमकीन खाद्य आइटम एचएस 2106 90 99 के तहत आते हैं। पैक्ड व लेबल्ड नमकीन पर 12 प्रतिशत तो बिना पैक्ड व बिना लेबल्ड पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। चूंकि कैरेमल वाले पॉपकॉर्न मीठे होते हैं इसलिए 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

गत शनिवार को जीएसटी काउंसिल की 55वीं बैठक में कैरेमल मिले हुए मीठे पॉपकॉर्न (Popcorn) पर जीएसटी दर नहीं बढ़ाई गई थी। काउंसिल की बैठक में उत्तर प्रदेश की तरफ नमकीन पॉपकॉर्न और मीठे पॉपकॉर्न के वर्गीकरण को स्पष्ट करने की गुजारिश की गई थी और इसे काउंसिल की बैठक के एजेंडा में शामिल कर लिया गया था और बैठक में उस पर ही स्पष्टीकरण दिया गया था।

जीएसटी विशेषज्ञों के मुताबिक जीएसटी के दायरे में आने वाले सभी खाद्य पदार्थों का वर्गीकरण हार्मोनाइज्ड सिस्टम (एचएस) के तहत किया जाता है। व‌र्ल्ड कस्टम ऑर्गेनाइजेशंस की तरफ से विकसित आधार पर यह वर्गीकरण किया जाता है। दुनिया के 200 से अधिक देशों में इस प्रणाली के तहत टैक्स लगाए जाते हैं। वस्तुओं के एचएस वर्गीकरण में अंतर की वजह से ही उनकी जीएसटी दरें अलग-अलग हो जाती हैं।

सूत्रों के मुताबिक चीनी मिली हुई या लगभग सभी प्रकार के मीठे कंफेक्शनरी चैप्टर 17 के एचएस 1704 के तहत आते हैं जिन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। वहीं नमकीन खाद्य आइटम एचएस 2106 90 99 के तहत आते हैं। पैक्ड व लेबल्ड नमकीन पर 12 प्रतिशत तो बिना पैक्ड व बिना लेबल्ड पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। चूंकि कैरेमल वाले पॉपकॉर्न मीठे होते हैं, इसलिए एचएस के हिसाब से उन पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।

पुरानी कारों की बिक्री पर टैक्स का मामला
जीएसटी काउंसिल ने अपनी 55वीं मीटिंग में पुरानी कारों पर जीएसटी को 12 फीसदी से बढ़ाकर 18 फीसदी करने का प्रस्ताव भी किया है। यह टैक्स पुरानी कार खरीदकर उसे जिस मार्जिन पर बेचा जाएगा, उसी पर लागू होगा। उदाहरण के लिए, अगर व्यवसायिक प्रतिष्ठान ने कोई पुरानी कार 1 लाख रुपये में खरीदी और उसे अपने प्लेटफॉर्म से 1 लाख 20 हजार रुपये में बेचा, तो टैक्स सिर्फ 20 हजार रुपये लगेगा।

इससे पहले 1200 सीसी और 4 हजार मिमी तक की लंबाई वाली पुरानी कारों पर 12 फीसदी जीएसटी लगता था। वहीं, इससे बड़ी गाड़ियों पर जीएसटी की दर 18 फीसदी थी। इसलिए यह बढ़ोतरी भी सोशल मीडिया पर बहस का एक बड़ा मुद्दा बन गया। हालांकि, यह दर भारत में व्यवसायिक प्रतिष्ठानों के जरिए बेची जाने वाली पुरानी कारों पर ही लागू होगी। इसका मतलब है कि अगर कोई आम पुरानी कार खरीदता या बेचता है, तो उसे टैक्स नहीं देना पड़ेगा।

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