हरियाणा की झांकी ने गीता के संदेश व औद्योगिक प्रगति को किया प्रदर्शित
झांकी के अंतिम भाग में हरियाणा के खेल क्षेत्र में योगदान को दिखाया गया। हरियाणा को खेल महाशक्ति के रूप में प्रदर्शित किया गया, जिसने ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के 30 प्रतिशत से अधिक पदकों में योगदान दिया।
गणतंत्र दिवस परेड में हरियाणा की झांकी ने अपनी सांस्कृतिक और औद्योगिक पहचान का अद्भुत प्रदर्शन किया। झांकी ने कुरुक्षेत्र में हुए महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान कृष्ण द्वारा दिए गए भगवद गीता के संदेश को श्रद्धांजलि दी।
झांकी के सामने वाले हिस्से में महाभारत के युद्ध का दृश्य दिखाया गया, जिसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को कुरुक्षेत्र के युद्ध के मैदान में गीता का दिव्य ज्ञान दे रहे हैं। इस दृश्य में विशेष रूप से ज्योतिसर क्षेत्र को दर्शाया गया, जो अब कुरुक्षेत्र का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है।
झांकी के मध्य भाग ने हरियाणा के सांस्कृतिक धरोहरों को उकेरा। इसमें सूरजकुंड मेले से प्रेरित शिल्प गाड़ी को दर्शाया गया, जिसमें सरकंडा शिल्प, चमड़े की जूतियां, फुलकारी, रेवाड़ी के पीतल के बर्तन और सुराही जैसे पारंपरिक हस्तशिल्प शामिल थे। यह राज्य के शिल्प और कला कौशल को उजागर करता है।
झांकी के अंतिम भाग में हरियाणा के खेल क्षेत्र में योगदान को दिखाया गया। हरियाणा को खेल महाशक्ति के रूप में प्रदर्शित किया गया, जिसने ओलंपिक और राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के 30 प्रतिशत से अधिक पदकों में योगदान दिया। इस वर्ष राज्य के एथलीटों ने 16 ओलंपिक और पैरालंपिक पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया।
इसके अलावा, झांकी ने ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजना के तहत बालिकाओं के कल्याण और महिला सशक्तिकरण को भी रेखांकित किया। झांकी ने हरियाणा को न केवल ग्रामीण और ऐतिहासिक राज्य के रूप में, बल्कि एक विकसित औद्योगिक और खेल शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया।