हरियाणा: प्रदेश के 35 निकायों में चुनाव लंबित, अभी छह महीने और लगेंगे

रोहतक नगर निगम के मेयर व 22 पार्षदों का कार्यकाल 9 जनवरी 2024 को पूरा हो गया था, लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए है। लोकसभा चुनाव से पहले निगम की नए सिरे से वार्डबंदी करने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई, जिसके तहत निगम के 22 की जगह 24 वार्ड बनाए जाने हैं।

प्रदेश के 35 निकायों में जनता का कोई प्रतिनिधि नहीं है। इन निकायों के कार्यकाल को खत्म हुए एक से चार साल बीत चुके हैं। अब सरकार भले ही जल्द चुनाव कराने का दावा कर रही हो, मगर हकीकत यह है कि अभी कम से कम छह महीने का और समय लग सकता है। दरअसल, पिछले हफ्ते ही सरकार ने विधानसभा में निगम, पालिका और पंचायती राज में संशोधन विधेयक पारित किया है।

इस विधेयक के तहत तीनों निकाय संस्थाओं में पिछड़ा वर्ग बी के प्रतिनिधियों की जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित की जाएंगी। लिहाजा अब निकाय विभाग को नए सिरे से इन 35 समेत अन्य सभी निकायों में नए सिरे से सीटों को आरक्षित करना होगा। इसमें कम से कम तीन से चार महीने का समय लग सकता है। उसके बाद सरकार चुनाव के लिए राज्य चुनाव आयोग को पत्र लिखेगी। आयोग अपनी तैयारी करेगा, जिसमें डेढ़ से दो महीने का समय लग सकता है।

जिन निकायों के चुनाव लंबित हैं, उनमें आठ नगर निगम, चार नगर परिषद और 23 नगर पालिकाएं शामिल हैं। इन निकायों का कार्यकाल खत्म होने के बाद चुनाव परिसीमन, लोकसभा-विधानसभा चुनाव और आरक्षण में फंसे रहे। पिछले साल एक एनजीओ जनाग्रह ने अपने सर्वे में पाया था कि गुरुग्राम, फरीदाबाद समेत देश के 1400 से अधिक शहरों में निर्वाचित मेयर व पार्षद नहीं हैं। जनता के प्रतिनिधि नहीं होने से शहरों में समस्याओं के अंबार हैं।

बारिश में जलभराव, टूटी स्ट्रीट लाइट और कूड़े के ढेर की शिकायतों के लिए लोगों को अधिकारियों पर ही निर्भर होना पड़ रहा है। जो कभी मिलते हैं तो कभी नहीं। मिल भी गए तो शिकायतों पर गंभीर नहीं हुए। जबकि निर्वाचित प्रतिनिधि आसानी से उपलब्ध हो जाते थे। विधायक के बजाय पार्षद आसानी से उपलब्ध होते हैं। पिछले दिनों हुए विधानसभा सत्र के दौरान भी विधायकों ने गंदगी व साफ-सफाई के मुद्दे उठाए थे। वहीं, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का कहना है कि निगम चुनाव जल्द करवाए जाएंगे। चुनाव के लिए भाजपा के कार्यकर्ता तैयार हैं।

इन निकायों के चुनाव लंबित
राज्य के आठ नगर निगम में चुनाव होने हैं। इनमें मानेसर के नगर निगम बनने के बाद अभी तक चुनाव नहीं हुए हैं। फरीदाबाद नगर निगम का कार्यकाल फरवरी 2022, गुरुग्राम नगर निगम का कार्यकाल नवंबर 2022, करनाल, पानीपत, रोहतक, यमुनानगर और हिसार नगर निगम का कार्यकाल जनवरी 2024 में खत्म हो चुका है। उधर सोनीपत और अंबाला के मेयर विधानसभा के लिए निर्वाचित होने के कारण इन निगमों के मेयर का चुनाव भी अब होगा।

वहीं, सिरसा नगर परिषद का कार्यकाल अक्तूबर 2021, अंबाला सदर का सितंबर 2020, थानेसर का जुलाई 2021 और पटौदी मंडी नगर परिषद का कार्यकाल जून 2023 में खत्म हो चुका है। इसके अलावा बराड़ा, बवानीखेड़ा, लोहारू, जाखल, रादौर, कालांवली, खरखौदा, कलानौर, हथीन, तारू, कैनाना, अटेली मंडी, नीलोखेड़ी, इंद्री, पुंडरी, सिवान, कलायत, जुलाना, बेरी, नारनौंद, आदमपुर, फारुख नगर और सिवानी नगर पालिकाओं कार्यकाल खत्म हो चुका है। हालांकि 29 से ज्यादा निकायों की वार्डबंदी हो चुकी है, जबकि छह निकायों की वार्डबंदी अभी अधूरी है।

सीट खाली होने पर छह महीने में चुनाव जरूरी
हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार का कहना है कि कानून में स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि किसी भी संस्था की सीट खाली होने के छह महीने के बाद चुनाव करवाना जरूरी होता है। फिर चाहे विधानसभा हो या लोकसभा हो या स्थानीय निकाय। मगर साल 2002 में तत्कालीन चौटाला सरकार ने तीनों संस्थाओं के अधिनियम में एक संशोधन किया था कि राज्य चुनाव आयोग को कोई भी चुनाव कार्यक्रम जारी करने से पहले सरकार से परामर्श करना आवश्यक होगा।

इस वजह से चुनावों में देरी होती है। राज्य सरकार को जब लगेगा कि शहरों में माहौल ठीक है तो वह चुनाव करवाएगी। ऐसे ही एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की निकाय चुनाव नहीं करवाने पर खिंचाई की थी। खिंचाई के बाद पंजाब सरकार निकाय चुनाव करवाने में जुट गई है। वहीं, बीते जुलाई माह में भी झारखंड हाईकोर्ट ने निकाय चुनाव नहीं करवाने पर झारखंड सरकार को फटकार लगाई थी। झारखंड में पिछले चार साल से चुनाव लंबित थे।

रोहतक: चुनाव न होने से पार्किंग की योजना अधर में लटकी
रोहतक नगर निगम के मेयर व 22 पार्षदों का कार्यकाल 9 जनवरी 2024 को पूरा हो गया था, लेकिन अभी तक चुनाव नहीं हुए है। लोकसभा चुनाव से पहले निगम की नए सिरे से वार्डबंदी करने के लिए प्रक्रिया शुरू की गई, जिसके तहत निगम के 22 की जगह 24 वार्ड बनाए जाने हैं। नई वार्डबंदी को लेकर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसे लोकसभा चुनाव से पहले डीसी की तरफ से मुख्यालय अनुमति के लिए भेजा गया था। अभी तक वार्डबंदी फाइनल नहीं हुई है। शहर में पार्किंग की सबसे बड़ी समस्या है। कार्यकाल पूरा होने से पहले निगम हाउस ने स्थायी के साथ अस्थायी पार्किंग बनाने का प्रस्ताव पास किया, लेकिन आज तक योजना सिरे नहीं चढ़ सकी है।

हिसार: हाउस की बैठक के एजेंडे सरकार को भेजने पड़ रहे
नगर निगम चुनाव न होने पर विकास पर असर पड़ रहा है। निवर्तमान पार्षद अनिल जैन के मुताबिक हाउस की बैठक में शहर के विकास कार्यों पर चर्चा होती है और एजेंडे पास कर सरकार को भिजवाए जाते हैं। इनमें से कुछ एजेंडे सिरे भी चढ़ते हैं। इसके अलावा हाउस की बैठक में पार्षद विकास कार्यों को लेकर अपने सुझाव भी देते हैं। अगर अधिकारी लोगों की सुनवाई नहीं करते तो लोग पार्षदों के पास आते हैं। हाउस होने से अधिकारियों पर भी काम करने का दबाव बनता है। नगर निगम के हाउस का कार्यकाल इस साल 9 जनवरी 2024 को पूरा हो गया था।

फरीदाबाद: लोगों की समस्याएं नहीं उठा पा रहे पार्षद
नगर निगम चुनाव हुए लगभग 8 वर्ष बीतने जा रहे हैं। कई बार घोषणाओं के बावजूद लगभग पिछले तीन वर्षों से शहर में मेयर और पार्षद के न होने पर जनता की समस्याएं सुनने वाला कोई नहीं है। निगम क्षेत्र में पेयजल, नालों, सड़क और गलियां टूटी पड़ी हैं। साथ ही जगह-जगह कूड़े के ढेर भी लग रहे हैं। निकाय चुनाव न होने से जनता की इन समस्याओं को उठाने और निराकरण के लिए आवाज उठाने वाले पार्षद और मेयर भी नहीं है। लोकसभा चुनाव के पहले ही निगम चुनावों के लिए नई वार्ड बंदी हुई थी। नई वार्डबंदी में 40 के स्थान पर 45 वार्ड किए गए थे।

गुरुग्राम: समस्याओं का समय पर नहीं हो रहा निदान
नगर निगम गुरुग्राम के सदन का कार्यकाल पूरा हुए करीब दो वर्ष पूरे हो चुके हैं। पूरे शहर में सफाई व्यवस्था बदहाल स्थिति में है। मेयर और पार्षद न होने से लोगों की समस्याओं का समय पर निवारण नहीं हो रहा है। निगम अधिकारी की कार्यशैली पर सवाल उठाने वाला कोई नहीं है। निगम क्षेत्र में सीवर ओवरफ्लो, टूटी सड़कें और गलियां मुसीबत बनी हुई हैं।

जबकि, मुख्य सड़कों से लेकर सेक्टर-काॅलोनियों की गलियों तक कूड़े के ढेर लग रहे हैं। वर्ष 2023 के आखिर में नई वार्डबंदी में एक वार्ड बढ़ा था। जिसके बाद वार्डों की संख्या 35 से बढ़कर 36 हो गई है। इसके बाद से लोकसभा चुनाव और फिर विधान सभा चुनाव के चलते निकाय चुनाव टल गए। निवर्तमान मेयर मधु आजाद ने बताया कि लोग अपनी समस्याओं को लेकर सबसे पहले पार्षद और मेयर के पास ही आते हैं। लोगों की समस्याओं के समाधान के लिए लगातार आवाज उठाई जा रही है।

करनाल: प्रस्तावित वार्डबंदी में कोई बदलाव नहीं
करनाल नगर निगम का कार्यकाल 03 जनवरी 2024 को पूरा हो गया था। वार्डबंदी का कार्य पूरा करके अंतिम निर्णय के लिए प्रदेश सरकार को भेजा जा चुका है। प्रस्तावित वार्डबंदी में कोई बदलाव नहीं है। अभी 20 वार्ड ही रहेंगे। कुछ वार्डों के आंशिक क्षेत्र को बदले जाने का प्रस्ताव है।

पानीपत: वार्डबंदी को किया जा रहा संशोधित, विकास कार्य लंबित
पानीपत नगर निगम हाउस का कार्यकाल जनवरी 2023 को पूरा हो गया है। नए सिरे से वार्डबंदी की गई थी, जिस पर एडहॉक कमेटी ने आपत्ति जताई है। इसे फिर से संशोधित किया जा रहा है। चुनाव न होने से शहर के विकास कार्य लंबित है।

कुरुक्षेत्र: थानेसर नप की वार्डबंदी का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन
कुरुक्षेत्र में थानेसर नगर परिषद का चुनाव मई 2021 से लंबित है। इस संबंध में नगर परिषद की ओर से वार्ड बंदी शुरू की गई थी, जिसमें भेदभाव के आरोप लगे थे। फिलहाल ये मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में विचार अधीन है। नगर परिषद की चेयरमैनी भी करीब 20 वर्ष से सुभाष सुधा के परिवार के पास रही है। ऐसे में चुनाव लंबित होने से विकास कार्यों पर कोई विशेष असर नहीं पड़ रहा।

यमुनानगर: कई नए और पुराने कार्य अधर में लटके
नगर निगम यमुनानगर-जगाधरी के सदन का कार्यकाल जनवरी 2024 को समाप्त हो गया था। चुनाव न होने से शहर के कई नए और पुराने विकास कार्य अधर में लटके हैं।

कैथल: सीवन, पुंडरी और कलायत में विकास कार्य अटके
कैथल के सीवन, पुंडरी और कलायत में डेढ़ साल से चुनाव लंबित हैं। सीवन में नगर पालिका को भंग करने की मांग उठ रही है, जबकि पुंडरी और कलायत में वार्डबंदी नहीं होने कारण चुनाव नहीं हुए। तीनों नगरपालिका क्षेत्रों में चुनाव न होने से विकास के कई कार्य अटके हैं।

अंबाला : नप गठन के छह वर्ष बाद भी नहीं हुआ चुनाव, विकास कार्य प्रभावित
नगर निगम की सीमा में रहने के दौरान अंबाला छावनी में 2013 में आखिरी बार पार्षदों के चुनाव हुए थे। इसके बाद सितंबर 2018 में अंबाला छावनी में नगर परिषद का गठन हो गया। नगर परिषद के गठन के छह वर्ष बाद भी चुनाव नहीं हुआ है। जिससे शहर के कई विकास कार्य अटके हैं।

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