हरियाणा: सूरजकुंड मेले में लोक कलाकारों की उपेक्षा, 23 को मनाएंगे ब्लैक-डे
सारंगी वादक धुनीनाथ ने बताया कि हर साल लोक कलाकारों को उम्मीद रहती है कि उन्हें गीता जयंती और सूरजकुंड मेले में काम मिलेगा। “इस बार हमें इन दोनों आयोजनों में भी शामिल नहीं किया गया, जिससे हमारी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई है।
हरियाणा लोक कलाकार संगठन ने सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय क्राफ्ट मेले में प्रदेश के लोक कलाकारों को काम न मिलने पर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है। संगठन ने आरोप लगाया कि इस बार मेले में स्थानीय लोक कलाकारों की उपेक्षा की गई और उनकी जगह विदेशी और बॉलीवुड कलाकारों को प्राथमिकता दी गई। इस भेदभाव के विरोध में 23 फरवरी को ब्लैक डे मनाने का फैसला लिया गया है। यह निर्णय शनिवार को सुखबीर चौक स्थित होटल के सभागार में हुई बैठक के दौरान लिया गया। बैठक के बाद संगठन के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता कर अपनी नाराजगी जाहिर की।
लोक कलाकारों का लगातार शोषण हो रहा- संगठन का आरोप
संगठन के प्रधान प्रदीप बहमनी ने कहा कि हरियाणा के लोक कलाकारों को उचित मंच नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हर बार की तरह इस बार भी लोक कलाकारों को नज़रअंदाज किया गया। कुछ गिने-चुने कलाकारों को ही मौका मिला, जबकि विदेशी कलाकारों को लाखों रुपये दिए जा रहे हैं। इससे प्रदेश के कलाकार बेरोजगार होकर भूखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री सभी वर्गों के लिए कार्य कर रहे हैं, लेकिन लोक कलाकारों के लिए कोई विशेष नीति या योजना नहीं बनाई गई है।
सारंगी वादकों को नहीं मिला मंच
सारंगी वादक धुनीनाथ ने बताया कि हर साल लोक कलाकारों को उम्मीद रहती है कि उन्हें गीता जयंती और सूरजकुंड मेले में काम मिलेगा। इस बार हमें इन दोनों आयोजनों में भी शामिल नहीं किया गया, जिससे हमारी आर्थिक स्थिति और खराब हो गई है। ऐसे हालात में हमारी लोक कला का अस्तित्व खतरे में है।
मेहनताने में कटौती, कलाकारों के लिए बढ़ी मुश्किलें
संगठन के सचिव नरेश कुंडू ने बताया कि इस बार कई पारंपरिक लोक विधाओं का मेहनताना घटा दिया गया है। उन्होंने कहा कि पिछले साल लोक नृत्य दलों को 70 से 80 हजार रुपये मिलते थे, जबकि इस बार यह राशि घटाकर मात्र 40 से 50 हजार रुपये कर दी गई है। ऐसे में जिन कलाकारों को काम मिला भी है, उनके लिए भी जीवनयापन कठिन हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार को दम तोड़ती लोक कलाओं को बचाने के लिए बजट बढ़ाना चाहिए था, लेकिन इसके विपरीत बजट में कटौती कर दी गई है।
23 फरवरी को होगा विरोध प्रदर्शन
इस स्थिति से नाराज लोक कलाकारों ने सर्वसम्मति से 23 फरवरी को ब्लैक डे मनाने का ऐलान किया है। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोक कलाकार मौजूद रहे और उन्होंने सरकार से हरियाणा के लोक कलाकारों के हित में ठोस कदम उठाने की मांग की।