हरियाणा: ग्रुप C-D की भर्ती में आर्थिक-सामाजिक आधार अंकों पर पुनर्विचार करेगा हाईकोर्ट

ग्रुप सी व डी के करीब 58,000 पदों के लिए आयोजित परीक्षा के परिणाम को रद्द करने, सामाजिक व आर्थिक आधार पर 5 अंकों का लाभ जोड़े बिना मेरिट सूची तैयार करने और नए सिरे से आवेदन मांगने के आदेश पर हाईकोर्ट पुनर्विचार करेगा। हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सभी पक्षों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।

सामाजिक व आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह एक प्रकार से आरक्षण देने जैसा है। जब आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत राज्य सरकार ने आरक्षण का लाभ दिया है तो क्यों यह आर्टिफिशियल श्रेणी बनाई जा रही है।

यह लाभ देने से पहले न तो कोई डाटा एकत्रित किया गया और न ही कोई आयोग बनाया गया। इस प्रकार पहले सीईटी में 5 अंकों का और फिर भर्ती परीक्षा में 2.5 अंकों का लाभ तो भर्ती का परिणाम पूरी तरह से बदल देगा। इन अंकों का लाभ देते हुए केवल पीपीपी धारकों को ही योग्य माना गया है जो संविधान के अनुसार सही नहीं है। नियुक्ति में किसी लाभ को राज्य के लोगों तक सीमित नहीं रखा जा सकता है। एक बार अनुच्छेद 15 और 16 तथा नीति निर्देशक सिद्धांत पूरे भारत में लागू होते हैं।

हाईकोर्ट ने नियुक्ति प्रक्रिया में पारदर्शिता के लिए अब हरियाणा के मुख्य सचिव को परीक्षा आयोजित करने में अनुभवी व्यक्ति को कर्मचारी चयन आयोग का सचिव नियुक्त करने का आदेश दिया था। साथ ही सुझाव दिया था कि किसी यूनिवर्सिटी के कंट्रोलर ऑफ एग्जामिनेशन को यह जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि अब बिना इन अंकों का लाभ दिए मेरिट सूची बनाई जाए और इसके बाद इन पदों के लिए नए सिरे से आवेदन मांगकर भर्ती पूरी की जाए। इस आदेश को हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की एसएलपी को खारिज कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर अब हरियाणा सरकार ने दोबारा हाईकोर्ट का रुख किया है और आदेश पर पुनर्विचार की अपील की है।

यह था विवाद
राज्य सरकार ने सामाजिक व आर्थिक आधार पर सार्वजनिक नौकरियों में हरियाणा के नागरिकों को 5 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया था। सरकार ने ग्रुप सी व डी के पदों को भरने के लिए संयुक्त पात्रता परीक्षा आयोजित की थी। इसमें इन 5 अंकों का लाभ दिया गया था। बाद में पाया गया कि कुछ आवेदकों का दावा गलत है। आयोग ने दावा वापिस लेने का आवेदकों को मौका दिया था। 25 जुलाई 2023 को अंतिम परिणाम जारी किया गया और 27 जुलाई 2023 को 6223 आवेदकों ने दावा वापस ले लिया।

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