हरियाणा विधानसभा भवन: चंडीगढ़ प्रशासन ने नहीं शुरू की कार्रवाई, सीएम करेंगे सर्वदलीय बैठक

हरियाणा विधानसभा के नए भवन को लेकर घमासान जारी है। विधानसभा सत्र के दौरान सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा- इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। इस गंभीर मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक करेंगे। 2026 में नया परिसीमन लागू हो जाएगा। इसके लिए हमें नई विधानसभा चाहिए होगी। इस पर सभी पार्टियों को राजनीति से ऊपर उठकर एकमत होकर अपनी बात रखनी चाहिए। दरअसल सत्र के दौरान कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने सदन में कहा पंजाब सरकार की ओर से विधानसभा के नए भवन को लेकर कई बयान आ चुके हैं। उनके बयानों से ऐसा लग रहा है कि हरियाणा का चंडीगढ़ में कोई हिस्सा ही नहीं है। चंडीगढ़ पर हरियाणा का भी अधिकार है। हमें चंडीगढ़ में जमीन के बदले पैसा या जमीन नहीं देनी चाहिए, चंडीगढ़ हमारा भी है।

इस पर स्पीकर हरविंद्र कल्याण ने कहा कि यह गंभीर मुद्दा है। इस पर इस तरह से बहस नहीं हो सकती। इसके लिए अलग से बातचीत करेंगे। इतने में सीएम नायब सिंह सैनी खड़े हुए और कहा कि पंजाब के नेताओं ने पहले भी एसवाईएल को लेकर राजनीति की है, जिससे हरियाणा के किसानों को उनके हक का पानी नहीं मिला। जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि एसवाईएल का पानी हरियाणा के किसानों को मिलना चाहिए।

इस देश के अंदर ऐसा नहीं होना चाहिए कि माननीय सुप्रीम कोर्ट को भी बाईपास किया जाए, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसी तरह अब पंजाब के नेता हरियाणा विधानसभा के निर्माण के विषय पर भी सवालिया निशान लगा रहे हैं, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। पंजाब के नेताओं का आचरण अशोभनीय है। उन्होंने कहा कि हम सभी को इस पवित्र मंदिर में बैठकर मानवता के हित में निर्णय लेने चाहिए। एसवाईएल के पानी के साथ चंडीगढ़ पर भी हरियाणा का पूरा हक है। इस पर कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने कहा- इस मुद्दे पर विपक्ष के विधायक भी साथ हैं। यदि पीएम से मिलना पड़े तो हम लोग तैयार हैं। इसे लेकर कोई राजनीति नहीं होगी।

हरियाणा लिखेगा चंडीगढ़ प्रशासन को पत्र

हालांकि विधानसभा भवन को लेकर भले ही घमासान मचा हो, मगर चंडीगढ़ प्रशासन की ओर से इस दिशा में अभी फिलहाल कोई कदम नहीं उठाया गया है। चंडीगढ़ के उपायुक्त निशांत कुमार ने बताया, हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं वन जीव मंत्रालय की ओर से हरियाणा के इको सेंसटिव जोन को लेकर अधिसूचना जारी हुई है। जमीन आवंटन को लेकर यूटी प्रशासन की ओर से निर्णय लेना अभी बाकी है। इस दिशा में अभी कोई बैठक भी नहीं की गई है। वहीं, इस मामले से जुड़े

अधिकारियों ने बताया, जमीन से अड़चन दूर होने के बाद हरियाणा की ओर से चंडीगढ़ प्रशासन को पत्र लिखा जाएगा कि जो आपत्ति जताई गई थी, उसे अब हटा दिया गया है। इसलिए आगे की कार्रवाई की जाए। हालांकि हरियाणा जमीन के बदले जमीन देने के लिए तैयार है और चंडीगढ़ प्रशासन भी इसे लेकर पहले ही हामी भर चुका है।

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