हरनाथ सिंह यादव का बड़ा बयान, हिंदी के विरोध पर कही ये बड़ी बात..

संसद की राजभाषा समिति के सदस्य और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राज्यसभा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने बुधवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन की आलोचना करते हुए कहा कि जो लोग हिंदी का विरोध कर रहे हैं उनके पीछे राजनीतिक मकसद हैं। मालूम हो कि सिंह का यह बयान विजयन के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे एक पत्र के बाद आया है, जिसमें उन्होंने हिंदी भाषा पर संसदीय पैनल की सिफारिश को नहीं मानने के बारे में बाताया था

राजनीतिक मकसद से हो रहा हिंदी भाषा का विरोध

समाचार एजेंसी एएनआइ से बात करते हुए यादव ने कहा, ‘केरल के मुख्यमंत्री के साथ-साथ अन्य जो भी लोग हिंदी का विरोध कर रहे हैं इसके पीछे राजनीतिक मकसद हैं। जहां तक भाषाओं का सवाल है, मैं राजभाषा समिति का सदस्य हूँ। हमने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में भारत के राष्ट्रपति को जो रिपोर्ट सौंपी हैं, उसमें हिंदी को संचार के भाषा के तौर पर विकसित करने का अनुरोध किया गया है।’

सभी भाषाओं के विकास पर जोर

उन्होंने आगे कहा कि पीएम मोदी और और गृह मंत्री शाह ने कई मौकों पर कह चुके हैं कि हम हिंदी और देश की सभी क्षेत्रीय भाषाओं को समान रूप से विकसित करना चाहते हैं। सभी क्षेत्रीय भाषाओं का एक समान रूप से विकास होनी चाहिए।

भारत में 70 प्रतिशत से अधिक लोग जानते हैं हिंदी

यादव ने 2011 की जनगणना का हवाले देते हुए आगे कहा कि भारत में 70 प्रतिशत से अधिक लोग हिंदी भाषा को जानते और समझे हैं। ये सभी लोग हिंदी में ही लिखते, पढ़ते और बोलते हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ दो प्रतिशत से कम ही लोग अंग्रेजी भाषा को जानते हैं। उन्होंने आगे कहा कि केरल के मुख्यमंत्री ने हिंदी का विरोध किया, लेकिन वह अंग्रेजी को बनाए रखना चाहते हैं, जो कि अंग्रेजों की की भाषा है।

मालूम हो कि केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखकर हिंदी भाषा को परीक्षा का माध्यम बनाने और केंद्रीय सेवाओं के साथ-साथ हिंदी को IIT और IIM सहित शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाई के लिए अनिवार्य भाषा बनाने की संसदीय पैनल की सिफारिश को स्वीकार नहीं करने के राज्य के निर्णय से अवगत कराया। उन्होंने पीएम को लिखे अपने पत्र में कहा कि किसी एक भाषा को दूसरों से ऊपर बढ़ावा देना ठीक नहीं है। उन्होंने इस तरह के प्रयासों को वापस लेने की भी मांग की।

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