सेना की एक हरियाणवी लड़की, जिसने पूरे गांव की दुनिया बदली

पानीपत शहर से करीब दस किलोमीटर दूर है गांव बिंझौल। मैं और मेरे फोटोजर्नलिस्ट साथी ने गांव में कदम रखते ही एक बुजुर्ग से प्रीति के घर का पता पूछा। उन्होंने चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए कहा, म्हारी बेटी के घरां जाना सै। चालो…थामने छोड़ के आऊं। इस बिटिया ने म्हारे पूरे गाम ने ही बदल दिया सै। उसी का नाम लेकर बच्चों को पढ़ाने की हम बात करते हैं। एक नौजवान को रोका और हमें प्रीति के घर ले गए।
पानीपत के बिझौल गांव की बेटी, आर्मी में लेफ्टिनेंट स्वार्ड ऑफ ऑनर विजेता प्रीति चौधरी अपने नाम की तरह प्रिटी, हंसमुख, मिलनसार, लेकिन इरादों पर अटल रहने वाली युवती है। आर्मी बैकग्राउंड में पली-बढ़ी प्रीति ने स्कूल लाइफ से ही नेतृत्व करना सीख लिया था। अलग-अलग कक्षाओं में मॉनिटर रही।
पिता कैप्टन इंद्र सिंह तबादले के कारण शहर बदलते रहे तो उसका भी स्कूल बदलता रहा। नए स्कूल, नए शहरों और हर बार अजनबी चेहरों के बीच रहने की वजह ने उसे और मजबूत बनाया। घर में भी उसने अपनी हेकड़ी चलाने में देर नहीं की । भावी पति कैसा हो ? इस सवाल पर साधारण लड़कियों की तरह शर्म से उनका भी चेहरा लाल हो गया।
ऑल इंडिया बेस्ट कैडट बनी थीं
18 अक्टूबर, 1995 को जन्मी प्रीति चौधरी ने बताया कि पिता इंद्र सिंह आर्मी से रिटायर्ड हैं। मां सुनीता देवी शिक्षिका हैं, तथास्तु चैरिटेबल नाम से एनजीओ चलाती हैं। बड़ी बहन प्रिया चौधरी ने एमसीए किया हुआ है और पुणे की एक कंपनी में जॉब करती हैं। छोटा भाई अंकित चितकारा यूनिवर्सिटी, चंड़ीगढ से बीटेक कर रहा है। छोटा सुशिक्षित परिवार है, माता-पिता ने बच्चों को अच्छे से संवारा है। पढ़ाई का सफर पर उन्होंने कहा कि प्रारंभिक शिक्षा आर्मी स्कूल जोधपुर में हुई।