संकष्टी चतुर्थी पर इस तरह करें बप्पा को प्रसन्न

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह की चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी जाती है। जहां शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी पर विनायक चतुर्थी का व्रत किया जाता है, वहीं कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने का विधान है। इस दिन विशेष विधि-विधान से गणेश जी की आराधना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती हैं।

संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 20 सितंबर को सुबह 08 बजकर 45 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 21 सितंबर 2024 को सुबह 05 बजकर 43 मिनट पर होगा। ऐसे में आश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत शुक्रवार, 20 सितंबर को किया जाएगा।

गणेश पूजा विधि (Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

सबसे पहले संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद पूजाघर की साफ-सफाई के बाद भगवान गणेश की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अब गणेश जी का जलाभिषेक करें और उन्हें पीले रंग का चंदन लगाएं। इसके बाद पुष्प और फल आदि चढ़ाएं। भोग के रूप में गणेश जी को बेसन के लड्डू या फिर उनके प्रिय मोदक का भोग लगाएं। अंत में संकष्टी चतुर्थी की कथा का पाठ करें और गणेश जी की आरती करें। शाम के समय चंद्रमा के दर्शन कर उन्हें अर्घ्य दें और अपने व्रत का पारण करें।

जरूर करें ये काम

आश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर गणेश जी को दूर्वा और सिंदूर आदि जरूर अर्पित करने चाहिए। इसी के साथ गणपति जी को 21 दूर्वा अर्पित करें और इस दौरान इस मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से जीवन में आ रही बड़ी-से-बड़ी बाधा दूर हो जाती है।

श्री गणेशाय नमः दूर्वांकुरान् समर्पयामि

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