अयोध्या में इस दिन से शुरू होती है होली! नागा साधु देते हैं मंदिरों में निमंत्रण!
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है. इस साल होलिका दहन 24 मार्च को होगा और होली का त्योहार 25 मार्च को मनाया जाएगा. होली को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी माना जाता है. इसलिए इस पर्व को धूमधाम से पूरे देश में मनाया जाता है. अयोध्या में सनातन धर्म को मानने वाले लोग होली की तैयारियों में जुट गए हैं. आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताएंगे कि कैसी होती है अवध की होली और अयोध्या में होली की क्या परंपरा है. तो चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं.
मथुरा, काशी के बाद अब अयोध्या का भी प्रमुख त्योहार होली बन गया है. अयोध्या मंदिर और मूर्तियों की नगरी है. होली आने में महज 10 दिन ही शेष हैं, लेकिन रामनगरी के मन्दिर पहले से ही रंग-गुलाल में सराबोर हो चुके हैं. यहां यहां के मंदिरों में बसंत पंचमी से ही साधु संत गर्भगृह में विराजमान भगवान को अबीर गुलाल अर्पित करते हैं. हालांकि अयोध्या के अलग-अलग मंदिरों में अलग-अलग परंपराएं भी हैं. रंगभरी एकादशी के दिन से पूरे अयोध्या में रंगों का उत्सव शुरू हो जाता है.
अयोध्या में होली की परंपरा
गौरतलब है कि अयोध्या के लगभग सभी मंदिरों में बसंत पंचमी से ही साधु-संत गर्भगृह में विराजमान भगवान को अबीर गुलाल अर्पित करते हैं. लेकिन सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी से रंगभरी एकादशी के दिन नागा साधु अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा करते हैं और उसके बाद हर मठ मंदिर में हनुमान जी का निशान लेकर होली का निमंत्रण देते हैं. और सभी के साथ होली खेलते हैं.यह परंपरा कई वर्षों से अयोध्या में निभाई जा रही है.
पंचकोसी परिक्रमा के साथ होली का निमंत्रण
हनुमानगढ़ी के महंत राजू दास बताते हैं कि कई वर्षों से रंग भरी एकादशी के दिन से हनुमानगढ़ी के नागा साधु हनुमान जी का निशान लेकर अयोध्या की पंचकोसी परिक्रमा करते हैं. पंचकोसी परिक्रमा के दौरान प्रमुख मठ-मंदिरों में पवन पुत्र हनुमान जाकर प्रभु राम के साथ होली खेलते हैं. नागा साधु ढोल मंजीरा बजाते हुए गीत सुनाते हैं और इसी दिन से अवध में होली की शुरुआत हो जाती है.