उत्तराखंड उच्च न्यायालय के स्थानांतरण के लिए हल्द्वानी के गौलापार का प्रस्ताव खारिज

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने इसके (उच्च न्यायालय) के लिए हल्द्वानी के गौलापार में प्रस्तावित भूमि को खारिज कर दिया है और प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को एक महीने में नई भूमि के चयन के निर्देश दिए हैं।

मुख्य न्यायाधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की युगलपीठ ने एक न्यायिक आदेश जारी कर सरकार को यह निर्देश दिए हैं। इस मामले में विगत 07 मई को सुनवाई हुई थी, लेकिन आदेश की प्रति मिल पाई है। पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि नैनीताल एक पर्यटक शहर है। यहां देश-विदेश के पर्यटक आते हैं। यहां यातायात एक बड़ी समस्या है। पहाड़ी क्षेत्र होने के नाते उच्च न्यायालय का विस्तार संभव नहीं है। तीन न्यायाधीशों की क्षमता वाले उच्च न्यायालय में मौजूदा समय में 20 न्यायाधीश हैं। न्यायालय ने कहा कि आने वाले 50 वर्षों में न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर 80 तक पहुंच जाएगी, जो कि नैनीताल के लिहाज से एकदम नाकाफी है।

अदालत ने आगे कहा कि यहां चिकित्सा सुविधा की भारी कमी है तथा सड़क मार्ग एकमात्र पहुंच का साधन है। वादकारियों और युवा अधिवक्ताओं को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सरकार पर भी खर्च का बोझ अलग पड़ता है। प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र से आने वाले वादकारियों को पहुंचने में दो से तीन दिन लगते हैं। पीठ ने अपने आदेश में आगे कहा कि उच्च न्यायालय की पूर्णपीठ ने 15 सितम्बर, 2022 को हाईकोर्ट को शिफ्ट करने का संकल्प लिया था। इसलिए इस संकल्प को निष्कर्ष तक पहुंचना चाहिए। आदेश में यह भी कहा गया कि प्रदेश सरकार ने उच्च न्यायालय की नई इमारत बनाए जाने के लिए हल्द्वानी के गौलापार में 26 हेक्टेयर भूमि की पेशकश की है, लेकिन इस भूमि के 75 प्रतिशत हिस्से में जंगल मौजूद है। पीठ ने यह भी कहा कि अदालत इतनी बड़ी मात्रा में पेड़ों के पातन के पक्ष में नहीं है। पीठ का मत है कि आगामी 50 वर्षों को देखते हुए उच्च न्यायालय के स्थानांतरण की योजना बनाई जानी चाहिए।

वहीं अंत में पीठ ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को निर्देश दिए कि वह एक महीने के अंदर भूमि का चयन करे और आगामी 07 जून तक रिपोर्ट अदालत में पेश करे। अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल की अध्यक्षता में भी एक समिति के गठन के निर्देश दिए हैं। समिति में प्रमुख सचिव (विधायी), प्रमुख सचिव संसदीय कार्य, प्रमुख सचिव गृह के साथ ही दो वरिष्ठ अधिवक्ता तथा उ0 बार कौंसिल की ओर से नामित सदस्य को शामिल किया गया है। समिति सभी पक्षों की राय के बाद एक महीने में अदालत में रिपोर्ट पेश करेगी। अदालत ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिए कि वह एक पोर्टल का गठन करे। अधिवक्ता और जनता उच्च न्यायालय के स्थानांतरण को लेकर 31 मई तक अपना मत पोर्टल पर दे सकती है।

अदालत ने कहा है कि अधिवक्ताओं और जनता को इस बारे में जानकारी देने के लिए हिंदी और अंग्रेजी के दो-दो समाचार पत्रों में विज्ञापन जारी किए जाए। अदालत ने उच्च न्यायालय के बार को भी भूमि की उपलब्धता के संदर्भ में सुझाव देने को कहा है। अंत में मुख्य सचिव की रिपोर्ट और समिति की ओर से दी गई सिफारिश को मुख्य न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा और उसके बाद 25 जून को पुन: पीठ इस मामले पर सुनवाई करेगी और अपना अंतिम निर्णय देगी।

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