H1-B वीजा कार्यक्रम एक घोटाला, अमेरिकियों का रोजगार छीन रहे विदेशी कामगार…

फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम को ‘घोटाला’ बताते हुए इसकी आलोचना की और कहा कि इससे अमेरिकी कामगारों की नौकरियां छिन रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनियां अमेरिकी कर्मचारियों को हटाकर विदेशी खासकर भारतीय श्रमिकों को रख रही हैं।
फ्लोरिडा के गवर्नर रॉन डीसैंटिस ने एच-1बी वीजा कार्यक्रम की आलोचना की। उन्होंने इसे ‘पूरी तरह से धोखा’ बताया और कहा कि इस वीजा कार्यक्रम की वजह से अमेरिकी कंपनियां अपने देश के कामगारों की जगह विदेशी श्रमिकों को रख रही हैं। बुधवार को फॉक्स न्यूज पर एक इंटरव्यू में डीसैंटिस ने दावा किया कि कई कंपनियां पहले अमेरिकी कर्मचारियों को एच-1बी वीजा धारकों के साथ प्रशिक्षण देती हैं और फिर उन्हीं अमेरिकियों को नौकरी से निकाल देती हैं। उन्होंने कहा कि यह तरीका अस्वीकार्य है और यह अमेरिकी कामगारों को नुकसान पहुंचा रहा है।
जब एंकर लॉरा इनग्राहम ने ट्रंप प्रशासन के अंदर एच-1बी वीजा पर मतभेद को लेकर सवाल किया, तो डीसैंटिस ने कहा, आप सही कह रही हैं कि एच-1बी अब एक पूरा घोटाला बन चुका है। कंपनियां सरकार के साथ खेल रही हैं। कुछ कंपनियां बड़ी संख्या में अमेरिकी कर्मचारियों को निकाल रही हैं। साथ ही नए एच-1बी वीजा धारकों को रख रही हैं और पुराने वीजा भी नवीनीकरण कर रही हैं। पहले कहा जाता था कि हम दुनियाभर से सबसे प्रतिभाशाली लोग ला रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि एच-1बी वीजा से ऐसा नहीं हो रहा।
डीसैंटिस ने इस विचार को खारिज किया कि एच-1बी वीजा कार्यक्रम दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों को अमेरिका लाता है। उन्होंने कहा कि अब यह एक ऐसा सिस्टम बन गया है, जो एक खास इंडस्ट्री को फायदा पहुंचाता है और वह भी मुख्य रूप से एक ही देश से आने वाले लोगों से भरा है। उन्होंने कहा, एच-1बी वीजा धारकों में ज्यादातर एक ही देश से होते हैं- भारत। इस सिस्टम से पैसे कमाने के लिए एक पूरी इंडस्ट्री खड़ी हो गई है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के कारण नौजवान कर्मचारियों की नौकरियां छिनने के सवाल पर डीसैंटिस ने सवाल उठाया कि अमेरिका को विदेशी कामगार क्यों लाने चाहिए, जब उसके अपने नागरिकों की जरूरतें पहले पूरी नहीं हो रही हैं। उन्होंने फॉक्स न्यूज से कहा, जब हमारे अपने लोगों को रोजगार की जरूरत है, तो हम विदेशी कामगारों को क्यों ला रहे हैं?
डीसैंटिस के बयान ने एच-1बी वीजा को लेकर बहस को फिर से हवा दे दी है। इससे पहले अमेरिका के वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा था कि अमेरिका अपनी मौजूदा आव्रजन प्रणाली में बदलाव करना चाहता है, खासकर एच-1बी वीजा और ग्रीन कार्ड कार्यक्रम को लेकर। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन एक नया ‘गोल्ड कार्ड’ कार्यक्रम लाने की योजना बना रहा है, जिसमें अमीर विदेशी नागरिक अगर अमेरिका में पांच मिलियन डॉलर निवेश करें, तो उन्हें अमेरिकी में रहने की अनुमति दी जाएगी।
लुटनिक ने दावा किया कि इस योजना में बहुत रुचि दिखाई जा रही है। लगभग 2.5 लाख लोग लाइन में लगे हैं और इससे लगभग 1.25 ट्रिलियन डॉलर की कमाई हो सकती है। जनवरी 2025 में ट्रंप ने दोबारा एच-1बी वीजा कार्यक्रम को समर्थन देने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि अमेरिका को ‘योग्य’ और ‘महान’ लोगों की जरूरत है और एच-1बी वीजा इसके लिए सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। हालांकि, ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान उनकी सरकार ने इस वीजा कार्यक्रम पर सख्ती की थी और यह तर्क दिया था कि इस कार्यक्रम का दुरुपयोग हो रहा है और यह अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर बोझ डाल रहा है। साल 2016 में ट्रंप ने इस कार्यक्रम की आलोचना करते हुए कहा था कि यह कंपनियों को कम वेतन पर विदेशी कर्मचारियों को लाकर अमेरिकी कामगारों की जगह लेने का जरिया बन गया है।