गुजराल व नायडू मुलाकात: कहीं नई राजनीतिक जमीन तो नहीं तलाश रहा अकाली दल

चंडीगढ़। तेलुगूदेशम पार्टी के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का साथ छोडऩे के बाद शिरोमणि अकाली दल के राज्यसभा सदस्य नरेश गुजराल का चंद्रबाबू नायडू से मिलने और उनके हक में जोरदार आवाज बुलंद करने से राजनीतिक गलियारों में नई चर्चा छिड़ गई है।

अकाली दल और शिवसेना भाजपा नीत एनडीए के सबसे पुराने और विश्वस्त सहयोगी हैं। ऐसे में गुजराल का ऐसे सियासी दल के प्रमुख से मिलना जिसने नाराज होकर एनडीए को छोड़ दिया हो सवाल खड़े करता है। शिअद के सीनियर नेता हमेशा भाजपा का साथ छोडऩे के ख्याल को भी सिरे से खारिज करते हैं, लेकिन यह सभी जानते हैं कि राजनीति में कोई भी स्थायी दुश्मन या दोस्त नहीं होता है। पंजाब में भाजपा के साथ अकाली दल का बहुत पुराना रिश्ता है।

पार्टी के सरपरस्त प्रकाश सिंह बादल इसे हिंदू-सिख एकता की मिसाल बताते रहे हैं लेकिन दोनों दलों के बीच अक्सर खटास भी पैदा होती रही है। दोनों पार्टियों के राज्य स्तर के नेता तो चाहते हैं कि उन्हें अलग-अलग चुनाव में उतरना चाहिए, लेकिन राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा अकाली दल को छोड़ना नहीं चाहती, क्योंकि उसके पास सिखों के अलावा और कोई बड़ा अल्पसंख्यक समुदाय नहीं है। ऐसे में सिखों को अपने साथ रखना जहां उसकी मजबूरी है वहीं पंजाब में हिंदू वोट को अपने साथ मिलाकर सत्ता पर कब्जा करना अकाली दल की भी मजबूरी है।

गुजराल मंगलवार को संसद के सेंट्रल हॉल में चंद्रबाबू नायडू से मिले थे, जो दिल्ली में आंध्र प्रदेश को विशेष पैकेज देने की मांग को लेकर विभिन्न पार्टियों का समर्थन लेने के लिए आए हुए थे। गुजराल ने जागरण से बातचीत में कहा कि अकाली दल आंध्र प्रदेश का समर्थन इसलिए करता है क्योंकि पंजाब के साथ लगभग वैसा ही धोखा हो चुका है।

दो-दो प्रधानमंत्रियों द्वारा राजधानी चंडीगढ़ पंजाब को देने और हरियाणा को नई राजधानी के लिए पैसा देने की संसद में घोषणा करने के बावजूद यह पंजाब को नहीं दिया गया। इसी कारण पंजाबी की आर्थिक स्थिति आज बुरी तरह से चौपट हो गई है। राजधानी के बिना कोई राज्य कैसे तरक्की कर सकता है।

गुजराल ने बताया कि चंडीगढ़ से हर साल 5000 करोड़ रुपये का रेवेन्यू जेनेरेट होता है जो सेंट्रल कंसोलिडेट फंड में चला जाता है। अगर चंडीगढ़ पंजाब के पास होता तो यह राशि पंजाब सरकार को मिलती। अब यही हाल आंध्र प्रदेश के साथ होगा। आंध्र प्रदेश का 48 फीसद रेवेन्यू हैदराबाद से आता है जो अब तेलंगाना के पास चला गया। आंध्र प्रदेश को अपनी नई राजधानी बनानी पड़ेगी। निश्चित तौर पर उसके लिए विशेष पैकेज की जरूरत होगी। संघीय ढांचे की भी यही मांग है कि केंद्र राज्यों की सहायता करे।

भाजपा से शिअद के पुराने रिश्ते : गुजराल

तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट की बात चलने पर अकाली दल की रणनीति के बारे में नरेश गुजराल ने कहा, भाजपा के साथ अकाली दल के बहुत पुराने रिश्ते हैं। अलग होने के बारे में तो सोचा भी नहीं जा सकता।

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