#GST परिषद की बैठक, 70 से ज्यादा चीजों पर टैक्स में मिल सकती है राहत, पेट्रोल-डीजल पर है सबकी नजर

वर्ष 2018-19 के केंद्रीय बजट को अंतिम रूप देने से पहले आज होने वाली जीएसटी परिषद की 25वीं बैठक में खेती-बाड़ी में काम आने वाले कुछ साजो-सामान के साथ कई वस्तु एवं सेवाओं पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें कम होने के आसार हैं। बताया जा रहा है कि इस बैठक के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली राज्यों के वित्त मंत्रियों का मन भी टटोलेंगे, ताकि उनकी मंशा को भी केंद्रीय बजट में स्थान मिल सके।

70 वस्तु एवं सेवाओं पर घट सकती है दरें
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि परिषद की बैठक में करीब 70 वस्तु एवं सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कमी से संबंधित प्रस्तावों पर विचार हो सकता है। इसी बैठक में रिटर्न दाखिल करने के नियमों को आसान किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिलने की संभावना है। इसके अलावा, खेतों की सिंचाई में काम आने वाली मशीनरी पर भी जीएसटी की दर पांच फीसदी तक घटने के आसार हैं। इस बैठक में जॉब वर्क पर जीएसटी की मौजूदा दरों की समीक्षा हो सकती है और ई-प्लेटफॉर्म से कारपेंटर, प्लंबर, हाउसकीपिंग की सेवाएं देने वालों को भी राहत मिल सकती है।
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि परिषद की बैठक में करीब 70 वस्तु एवं सेवाओं पर जीएसटी की दरों में कमी से संबंधित प्रस्तावों पर विचार हो सकता है। इसी बैठक में रिटर्न दाखिल करने के नियमों को आसान किए जाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी मिलने की संभावना है। इसके अलावा, खेतों की सिंचाई में काम आने वाली मशीनरी पर भी जीएसटी की दर पांच फीसदी तक घटने के आसार हैं। इस बैठक में जॉब वर्क पर जीएसटी की मौजूदा दरों की समीक्षा हो सकती है और ई-प्लेटफॉर्म से कारपेंटर, प्लंबर, हाउसकीपिंग की सेवाएं देने वालों को भी राहत मिल सकती है।
सबकी नजर पर पेट्रोल-डीजल
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में लगातार बढ़ रही कच्चे तेल की कीमतों के बीच घरेलू बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमतें ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने की वजह से सबकी नजर परिषद की बैठक पर रहेगी कि इसे जीएसटी के दायरे में लाया जाता है या नहीं। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने पहले भी कहा है कि पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाया जाएगा, इस पर सहमति है लेकिन कब से ऐसा होगा, इस पर परिषद में ही फैसला होगा। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इसे जीएसटी के दायरे में लाने की वकालत कर चुके हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इन ईंधनों के जीएसटी के दायरे में आ जाने से खुदरा कीमत में उल्लेखनीय कमी होगी। लेकिन इस पर राज्यों के आसानी से सहमत होने के भी आसार नहीं हैं, क्योंकि अधिकतर राज्य इन ईंधनों पर काफी अप्रत्यक्ष कर वसूलते हैं।