GST का असर, ऑफिस में मिलने वाली कॉफी से लेकर कार तक पड़ेगा…
अगले महीने से लागू होने जा रहा गुड्स एंड सर्विस टैक्स यानी जीएसटी का असर कर्मचारियों को ऑफिस में मिलने वाली फ्री की कॉफी से लेकर कार तक पड़ेगा। उदाहरण के लिए यदि किसी कर्मचारी को ऑफिस की तरफ से कार मिलती है, तो क्या कार कंपनी की बुक्स में कैपेटेलाइज्ड है या नहीं। क्या यह कार कंपनी ने नाम से रजिस्टर्ड है या कर्मचारी के नाम से।
कंपनी की एचआर नीति के तहत क्या कर्मचारी उस कार का निजी इस्तेमाल कर सकता है? यदि हां, तो क्या कर्मचारी के निजी उपयोग की पहचान करने का कोई तरीका है? क्या संगठन की हायरार्की (कर्मचारियों के पदों) के हिसाब से अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग पात्रताएं, विभिन्न मॉडल या वेरिएंट हैं? इस तरह के कई सवाल जीएसटी के तहत पूछे जाएंगे।
अक्सर हम मानते हैं कि नियोक्ता-कर्मचारी संबंध अप्रत्यक्ष कर के दायरे से परे हैं। इसलिए कर्मचारी और कंपनी को उनके बीच हर लेन-देन पर टैक्स चार्ज करने के लिए अलग-अलग व्यक्तियों के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। मगर, जीएसटी कानून में कुछ प्रविष्टियां इस तर्क को नकार देती हैं।
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केंद्रीय जीएसटी (सीजीएसटी) अधिनियम 2017 की अनुसूची 3 गतिविधियों या लेन-देन से संबंधित है, जिसे आपूर्ति के रूप में नहीं माना जाएगा। इसी नियम के तहत स्पष्ट किया गया है कि कंपनी द्वारा कर्मचारियों को उपलब्ध कराई जाने वाली सेवाओं को विस्तार से बताया गया है।
इसलिए किसी नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को दी गई सैलेरी रोजगार के दौरान दी गई सेवाओं के बदले में दी जाती है और यह जीएसटी के तहत कर योग्य नहीं होगा। जबकि कर्मचारी को मिलने वाली अन्य सुविधाओं और सेवाओं पर कर लगेगा।