GST काउंसिल दूर करेगी इंडस्ट्री की दिक्कतें, ऑफिशियल्स की 18 टीम बनाई

नई दिल्ली.इंडस्ट्री की जीएसटी से संबंधित दिक्कतें दूर करने के लिए काउंसिल ने 18 टीम बनाई है। यह टीम अलग-अलग सेक्टर के लिए काम करेगी। हर टीम में केंद्र और राज्य के सीनियर ऑफिशियल्स होंगे। वे इंडस्ट्री बॉडी से मिलकर सेक्टर की प्रॉब्लम्स पहचानेंगे और ड्राफ्ट गाइडेंस तैयार करेंगे। फाइनेंस मिनिस्ट्री ने एक बयान में यह जानकारी दी है। इसमें जिन खास सेक्टर्स पर ध्यान देने की बात है, उनमें टेलिकॉम, बैंकिंग, एक्सपोर्ट, आईटी, टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वैलरी, फूड प्रोसेसिंग, ईकॉमर्स, फार्मा और एमएसएमई प्रमुख हैं। इंडस्ट्री बॉडी या कंपनी के रिप्रेजेंटेटिव अपनी प्रॉब्लम्स लेकर इस टीम के पास जा सकते हैं।

काउंसिल की 16वीं मीटिंग कल…
– फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली की अगुआई में जीएसटी काउंसिल की 16वीं मीटिंग 11 जून को होनी है। इसमें 3 जून को लिए गए फैसलों के मिनट्स को मंजूरी दी जाएगी। इंडस्ट्री ने कई गुड्स-सर्विसेज पर टैक्स रेट कम करने की मांग की है। वाजिब मांगों पर भी उसी दिन विचार किया जाएगा। 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने से पहले काउंसिल की यह संभवत: आखिरी मीटिंग होगी।
– फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली की अगुआई में जीएसटी काउंसिल की 16वीं मीटिंग 11 जून को होनी है। इसमें 3 जून को लिए गए फैसलों के मिनट्स को मंजूरी दी जाएगी। इंडस्ट्री ने कई गुड्स-सर्विसेज पर टैक्स रेट कम करने की मांग की है। वाजिब मांगों पर भी उसी दिन विचार किया जाएगा। 1 जुलाई को जीएसटी लागू होने से पहले काउंसिल की यह संभवत: आखिरी मीटिंग होगी।
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ऑटो, आईटी हार्डवेयर, टेक्सटाइल इंडस्ट्री की टैक्स घटाने की मांग
– ऑटो इंडस्ट्री हाइब्रिड कारों पर टैक्स घटाने की मांग कर रही है। इस पर अभी 30.3% टैक्स है, जिसे जीएसटी में 43% किया गया है। टेलीकॉम कंपनियां की मांग फोन सर्विसेज पर 18% टैक्स को कम करने की है। आईटी हार्डवेयर कंपनियां भी मॉनिटर-प्रिंटर जैसे प्रोडक्ट पर 28% की जगह 18% टैक्स चाहती हैं। टेक्सटाइल इंडस्ट्री सिंथेटिक यार्न, एम्ब्रॉयडरी आइटम, डाइंग और प्रिंटिंग यूनिट पर 18% टैक्स से नाखुश है। इसका कहना है कि इससे उनकी कॉस्ट बढ़ेगी। अभी इसमें जॉब वर्क पर कोई टैक्स नहीं है, इसलिए नौकरियां जाएंगी।
जहां बिक्री ज्यादा, वहां डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर खोलेगी फ्यूचर रिटेल
– फ्यूचर रिटेल उन जगहों पर डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर खोलेगी, जहां बिक्री ज्यादा है। कंपनी के ज्वाइंट एमडी राकेश बियानी ने बताया कि जीएसटी में सामान एक जगह से दूसरी जगह ले जाना आसान होगा, क्रेडिट का भी नुकसान नहीं होगा। इसलिए सप्लाई चेन मजबूत करने के लिए हम ज्यादा स्टोर खोलना चाहते हैं। अभी कपड़ों और होम प्रोडक्टस के लिए इसके देशभर में सिर्फ दो डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर हैं- नागपुर और बर्दवान (पश्चिम बंगाल) में। बियानी ने कहा कि जीएसटी रिटेल सेक्टर के लिए बड़े मौके की तरह है। इससे दाम कम होंगे और डिमांड बढ़ेगी।
फूड-बेवरेज का नहीं मिलेगा टैक्स क्रेडिट, कंपनी ने इम्प्लॉईका बीमा कराया तो उसका भी नहीं
Q. किस टैक्स का क्रेडिट मिलेगा? कौन क्लेम कर सकता है?
A.बिजनेस के सिलसिले में गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई पर जो भी टैक्स चुकाया गया, उसका क्रेडिट मिलेगा। इसके लिए शख्स का रजिस्टर्ड होना जरूरी है।
A.बिजनेस के सिलसिले में गुड्स या सर्विसेज की सप्लाई पर जो भी टैक्स चुकाया गया, उसका क्रेडिट मिलेगा। इसके लिए शख्स का रजिस्टर्ड होना जरूरी है।
Q. क्रेडिट क्लेम करने की शर्तें क्या हैं?
A. शख्स के पास रजिस्टर्ड सप्लायर द्वारा जारी टैक्स इनवॉयस या डेबिट नोट होना चाहिए। या कोई और डॉक्यूमेंट जिससे टैक्स देने की बात साबित हो।
– सप्लायर ने टैक्स की रकम सरकार के पास कैश या इनपुट क्रेडिट के रूप में जमा की हो।
– इनवॉयस रूल्स के मुताबिक डॉक्यूमेंट (जीएसटीआर-2) में जरूरी इन्फॉर्मेशंस हों।
– सेक्शन 39 के मुताबिक रिटर्न फाइल किया गया हो (जीएसटीआर-3)।
– सप्लायर द्वारा इनवॉयस जारी करने के 180 दिनों में उसे कीमत और टैक्स का भुगतान किया गया हो। सामान किस्तों में मिला है तो आखिरी किस्त के बाद क्लेम कर सकेंगे।
A. शख्स के पास रजिस्टर्ड सप्लायर द्वारा जारी टैक्स इनवॉयस या डेबिट नोट होना चाहिए। या कोई और डॉक्यूमेंट जिससे टैक्स देने की बात साबित हो।
– सप्लायर ने टैक्स की रकम सरकार के पास कैश या इनपुट क्रेडिट के रूप में जमा की हो।
– इनवॉयस रूल्स के मुताबिक डॉक्यूमेंट (जीएसटीआर-2) में जरूरी इन्फॉर्मेशंस हों।
– सेक्शन 39 के मुताबिक रिटर्न फाइल किया गया हो (जीएसटीआर-3)।
– सप्लायर द्वारा इनवॉयस जारी करने के 180 दिनों में उसे कीमत और टैक्स का भुगतान किया गया हो। सामान किस्तों में मिला है तो आखिरी किस्त के बाद क्लेम कर सकेंगे।
Q. 180 दिनों पेमेंट नहीं किया तो?
A. इंटरेस्ट समेत क्रेडिट वापस करना होगा। जीएसटीआर-2 में इसका जिक्र करना पड़ेगा। पेमेंट के बाद क्रेडिट ले सकते हैं।
A. इंटरेस्ट समेत क्रेडिट वापस करना होगा। जीएसटीआर-2 में इसका जिक्र करना पड़ेगा। पेमेंट के बाद क्रेडिट ले सकते हैं।
Q. क्रेडिट क्लेम करने के लिए कौन-कौन से डॉक्यूमेंट चाहिए?
A.सेक्शन 31 के मुताबिक सप्लायर द्वारा जारी इनवॉयस (टैक्स इनवॉयस)।
– रिवर्स चार्ज (आरसीएम) है तो चुकाए गए टैक्स का आरसीएम इनवॉयस।
– सेक्शन 34 के मुताबिक सप्लायर द्वारा जारी डेबिट नोट।
– इम्पोर्टेड चीजों की बिल ऑफ एंट्री या ऐसा कोई और डॉक्यूमेंट।
– इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (आईएसडी) की तरफ से जारी इनवॉयस या क्रेडिट नोट।
– सेक्शन 34 के मुताबिक सप्लायर द्वारा जारी डेबिट नोट।
– इम्पोर्टेड चीजों की बिल ऑफ एंट्री या ऐसा कोई और डॉक्यूमेंट।
– इनपुट सर्विस डिस्ट्रीब्यूटर (आईएसडी) की तरफ से जारी इनवॉयस या क्रेडिट नोट।
Q. क्रेडिट कितने दिनों में ले सकते हैं?
A.जिस फाइनेंशियल इयर का क्लेम है, उसके अगले साल सितंबर के रिटर्न के साथ क्लेम कर सकते हैं। अगर सालाना रिटर्न इससे पहले जमा किया तो उसे आखिरी तारीख माना जाएगा। पहले रिवर्स हुए क्रेडिट के क्लेम की कोई टाइम लिमिट नहीं होगी।
A.जिस फाइनेंशियल इयर का क्लेम है, उसके अगले साल सितंबर के रिटर्न के साथ क्लेम कर सकते हैं। अगर सालाना रिटर्न इससे पहले जमा किया तो उसे आखिरी तारीख माना जाएगा। पहले रिवर्स हुए क्रेडिट के क्लेम की कोई टाइम लिमिट नहीं होगी।
Q. गुड्स/सर्विसेज के एक हिस्से का इस्तेमाल बिजनेस में और बाकी दूसरे काम में हुआ, या एक हिस्सा टैक्सेबल और दूसरा छूट वाली कैटगरी में हुआ तो?
A.क्रेडिट उसी हिस्से पर मिलेगा जो बिजनेस (या टैक्सेबल) के लिए है।
A.क्रेडिट उसी हिस्से पर मिलेगा जो बिजनेस (या टैक्सेबल) के लिए है।
Q. किन हालात में क्रेडिट नहीं मिलेगा?
A.फूड/बेवरेज, आउटडोर कैटरिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट, हेल्थ सर्विसेज, कॉस्मेटिक/प्लास्टिक सर्जरी का क्रेडिट नहीं मिलेगा। इनका क्रेडिट तभी मिलेगा, जब इनका इस्तेमाल संबंधित बिजनेस वाली कंपनी बिजनेस में ही करती है। एग्जाम्पल के लिए फाइनेंशियल सर्विसेज के किसी ऑफिस में फूड सर्व होता है, तो उसका क्रेडिट नहीं मिलेगा।
A.फूड/बेवरेज, आउटडोर कैटरिंग, ब्यूटी ट्रीटमेंट, हेल्थ सर्विसेज, कॉस्मेटिक/प्लास्टिक सर्जरी का क्रेडिट नहीं मिलेगा। इनका क्रेडिट तभी मिलेगा, जब इनका इस्तेमाल संबंधित बिजनेस वाली कंपनी बिजनेस में ही करती है। एग्जाम्पल के लिए फाइनेंशियल सर्विसेज के किसी ऑफिस में फूड सर्व होता है, तो उसका क्रेडिट नहीं मिलेगा।
Q. हेल्थ या फिटनेस सेंटर की मेंबरशिप का क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं?
A.क्लब, हेल्थ, फिटनेस सेंटर की मेंबरशिप का भी क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकते। इम्मूवेबल प्रॉपर्टी बनाने के लिए वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट सर्विस, कम्पोजीशन स्कीम में जमा टैक्स, निजी इस्तेमाल के लिए खरीदे गई गुड्स/सर्विसेज, चोरी, खोई, नष्ट हुए गुड्स अथवा गिफ्ट या फ्री सैंपल का क्रेडिट नहीं मिलेगा।
A.क्लब, हेल्थ, फिटनेस सेंटर की मेंबरशिप का भी क्रेडिट क्लेम नहीं कर सकते। इम्मूवेबल प्रॉपर्टी बनाने के लिए वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट सर्विस, कम्पोजीशन स्कीम में जमा टैक्स, निजी इस्तेमाल के लिए खरीदे गई गुड्स/सर्विसेज, चोरी, खोई, नष्ट हुए गुड्स अथवा गिफ्ट या फ्री सैंपल का क्रेडिट नहीं मिलेगा।
Q. कंपनी की तरफ से इम्प्लाॅइज को दिए कन्सेशन का क्रेडिट मिलेगा?
A.कंपनी अपने इम्प्लॉई को छुट्टी के दौरान किसी तरह का ट्रैवल कन्सेशन देती है, तो उसका भी क्रेडिट क्लेम नहीं किया जा सकता। कैब रेंटल, लाइफ/हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का क्रेडिट तभी मिलेगा, अगर सरकार ने उसे जरूरी किया हो। कंपनी अपनी तरफ से इम्प्लॉई का जीवन बीमा कराती है तो उसे क्लेम नहीं कर सकती।
A.कंपनी अपने इम्प्लॉई को छुट्टी के दौरान किसी तरह का ट्रैवल कन्सेशन देती है, तो उसका भी क्रेडिट क्लेम नहीं किया जा सकता। कैब रेंटल, लाइफ/हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम का क्रेडिट तभी मिलेगा, अगर सरकार ने उसे जरूरी किया हो। कंपनी अपनी तरफ से इम्प्लॉई का जीवन बीमा कराती है तो उसे क्लेम नहीं कर सकती।
क्या है GST?
– GST का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स है। आसान शब्दों में कहें तो जीएसटी पूरे देश के लिए इनडायरेक्ट टैक्स है, जो भारत को एक जैसा बाजार बनाएगा।
– 1 जुलाई से GST देशभर में लागू होना है। 17 साल की कवायद के बाद GST इसलिए लाया गया क्योंकि अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में करीब सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे।
– GST को केंद्र और राज्यों के 17 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले में लागू किया जा रहा है। इससे एक्साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या सेल्स और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।
– 1 जुलाई से GST देशभर में लागू होना है। 17 साल की कवायद के बाद GST इसलिए लाया गया क्योंकि अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है। जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में करीब सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे।
– GST को केंद्र और राज्यों के 17 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले में लागू किया जा रहा है। इससे एक्साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या सेल्स और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।