बड़ा चमत्कारी है ये हनुमान मंदिर, पाताल से जुड़ी है मूर्ति की अनोखी कहानी

गुधौरा गांव में स्थित हनुमान जी का मंदिर न केवल स्थानीय लोगों के लिए, बल्कि दूसरे राज्यों के भक्तों के लिए भी एक आकर्षण का केंद्र है. इस मंदिर की खासियत ये है कि यहां विराजित हनुमान जी की मूर्ति जमीन से निकली है, जिसका दांए पैर पाताल से जुड़ा हुआ बताया जाता है. पुजारी शोभालाल पांडे के अनुसार, ये मूर्ति अंग्रेजों के जमाने की है और इसकी चमत्कारी शक्तियों के कारण लोग दूर-दूर से इसे देखने आते हैं. इस मंदिर की मान्यता और रहस्यमय इतिहास इसे विशेष बनाते हैं.

इतिहास की गूंज

22 साल से पुजारी रहे शोभालाल पांडे बताते हैं कि मंदिर का निर्माण काफी बाद में हुआ, लेकिन मूर्ति अंग्रेजों के जमाने की है. लगभग 80 साल पहले जब बांध का निर्माण हो रहा था, तो खुदाई के दौरान यह मूर्ति जमीन में गड़ी मिली. उस समय यहां घना जंगल था, और जंगली जानवरों के डर से लोग यहां आने से हिचकते थे. गांव वालों ने मूर्ति को बस्ती में स्थापित करने की योजना बनाई, लेकिन उसे जमीन से निकालना संभव नहीं हुआ. हनुमान जी ने सपने में आकर कहा कि वह वहीं रहकर पूजे जाएं, तब से मूर्ति उसी स्थान पर विराजित है.

गांव के रामकिशोर विश्वकर्मा का कहना है कि इस मूर्ति का दांए पैर पाताल से जुड़ा है. कई बार खुदाई की गई, लेकिन दांए पैर के छोर का कोई पता नहीं चल सका. इस रहस्य ने मूर्ति की महत्ता को और बढ़ा दिया है. गांव के निवासी कल्लू सिंह बताते हैं कि जब भी गांव में कोई संकट आता है, हनुमान जी ही गांव की रक्षा करते हैं. एक बार जब ईंट भट्टे की आग गांव में फैल गई थी, तब गांव वालों ने हनुमान जी का नाम लिया, जिसके बाद आंधी-बारिश हुई और आग शांत हो गई.

विवाद समाधान की शक्ति

इस मंदिर के बारे में एक दिलचस्प बात यह है कि यहां आकर कोई भी व्यक्ति झूठी कसमें नहीं खा सकता. जब भी किसी का विवाद होता है और गांव वाले उसे सुलझाने में असफल रहते हैं, तो वे यहां आते हैं, और उनकी सोच बदल जाती है. इससे विवाद सुलझ जाते हैं और गांव में शांति बनी रहती है. इस मंदिर की चमत्कारिक शक्तियों और रहस्यमय इतिहास ने इसे एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बना दिया है, जहां लोग दूर-दूर से आकर हनुमान जी का आशीर्वाद लेते हैं.

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