ग्रामीण भारत महोत्सव में बोले पीएम मोदी- गांव के विकास से बनेगा विकसित भारत

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि गांव के विकास से विकसित भारत का संकल्प जरूर साकार होगा। इसके लिए गांव के लोगों को गांव में ही ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मदद देना होगा, ताकि गांव में वे खेती भी कर पाएं और गांव में ही रोजगार-स्वरोजगार के लिए नए मौके भी उपलब्ध हो सके।

उन्होंने कहा कि विभिन्न तरीकों से ग्रामीण आय को बढ़ाने पर काम करना होगा। गांव में सस्ती सिंचाई की व्यवस्था करनी होगी। प्राकृतिक खेती के अभियान से अधिक से अधिक किसानों को जोड़ना होगा। सेल्फ हेल्फ ग्रुप्स को, लघु व सूक्ष्म उद्योगों को एमएसएमई से जोड़ना होगा। उनके सामान की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए काम करना होगा। हमें अपने भौगोलिक संकेत (जीआई) वाले उत्पाद की गुणवत्ता, पैकेजिंग और ब्रांडिंग पर भी ध्यान देना होगा।

‘गांव के विकास से राष्ट्र के विकास का मंत्र’

शनिवार को नई दिल्ली स्थित भारत मंडपम में नाबार्ड की तरफ से आयोजित ग्रामीण भारत महोत्सव 2025 का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हम गांव के विकास से राष्ट्र के विकास के मंत्र को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। गांव में खेती के अलावे विभिन्न नए अवसर निकलेंगे तो उन्हें पलायन नहीं करना पड़ेगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए गांव के हर वर्ग को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियां बनाने की आवश्यकता है और सरकार इस दिशा में लगातार काम कर रही है।

उन्होंने कहा कि दूध के उत्पादन से किसानों को सबसे अधिक रिटर्न मिल रहा है। हमें अमूल के जैसे पांच-छह ऐसे कोऑपरेटिव बनाने के लिए काम करना होगा, जिनकी पहुंच पूरे भारत में हो। किसान उत्पाद संघ (एफपीओ) से किसानों को अपनी फसल के अच्छे दाम मिल रहे हैं। हमें ऐसे और एफपीओ के बारे में सोचना चाहिए, उस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

पिछली सरकारों ने नहीं दिया ग्रामीण जरूरतों पर ध्यान: मोदी

मोदी ने कहा कि पिछले 10 सालों से ग्रामीण इलाके में मूलभूत सुविधाओं के साथ ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास पर लगातार काम किया जा रहा है। उसी का नतीजा है कि आज गांव व शहरों के बीच खपत का अंतर काफी कम हो गया है। वर्ष 2011 की तुलना में ग्रामीण भारत के लोगों की खरीद शक्ति तीन गुना बढ़ गई है।

उन्होंने कहा कि पूर्व की सरकारों ने ग्रामीणों की इन सभी आवश्यकताओं पर कभी ध्यान नहीं दिया। गांवों से पलायन होता रहा, गरीबी बढ़ती रही और गांव व शहरों के बीच भी खाई बढ़ती रही। सिर्फ गरीबी हटाओ का नारा दिया जाता था। हमारी सरकार के प्रयास से 10 सालों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकल आए हैं और इनमें सबसे बड़ी संख्या गांवों के लोगों की है।

‘किसानों के सिर पर बोझ नहीं आने देंगे’

प्रधानमंत्री ने कहा कि डीएपी का दाम दुनिया में बढ़ता ही चला जा रहा है। अगर उस हिसाब से हमारे किसानों को डीएपी खरीदना पड़ता तो वे ऐसे आर्थिक बोझ में दब जाते कि कभी खड़ा नहीं हो सकते, लेकिन हमने निर्णय किया कि दुनिया में चाहे जो भी परिस्थिति हो, कितना ही बोझ क्यों नहीं बढ़े, लेकिन हम किसानों के सिर पर बोझ नहीं आने देंगे। ग्रामीण भारत महोत्सव के मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण व वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी भी मौजूद थे।

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