नए साल में मीडिया से दूरी बनाएगी सरकार, जानिए इसके पीछे की वजह

इस संबंध में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने एक विस्तृत गोपनीय पत्र जारी किया है, जिसमें सचिवालय नियम संग्रह उत्तर प्रदेश शासन (सचिवालय मैनुअल) के नियमों का हवाला दिया गया है।
यह पत्र सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव व प्रभारी सचिवों को जारी हुआ है और उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि यदि कोई विषय या प्रकरण कैबिनेट में आने से पूर्व समाचार पत्र या मीडिया में प्रकाशित हुआ तो संबंधित विभाग के आला अधिकारी तत्परता से छानबीन करेंगे कि विषय वस्तु किस प्रकार लीक हुई और इसकी उन्हें तत्काल जानकारी देंगे। पत्र में कहा गया है कि प्रस्ताव लीक होने के कारण फैसलों के प्रभावित होने की संभावना बनती है।
कैबिनेट में उठा था लीकेज का मामला
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो प्रदेश मंत्रिमंडल की बैठक में यह मसला उठा था। कैबिनेट के कई सदस्यों ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि बैठक में आने से पहले ही प्रस्ताव समाचार पत्रों व मीडिया में प्रकाशित हो जाते हैं। कैबिनेट ने इस पर खेद जताया है और आपत्ति व्यक्त की है। पत्र में कैबिनेट की इस नाराजगी का भी उल्लेख है।
-मंत्रिमंडल के अभिलेखों को गोपनीय रूप से संरक्षित रखा जाए। कार्यसूची के प्रस्ताव मंत्री व सचिव द्वारा देखे जाने के पूर्व व बाद बंद कवर में ही कार्यालय में रखे जाएं।
-किसी अधिकारी को उनके नाम से संबोधित गुप्त व गोपनीय संचार पत्र अधिकारी स्वयं खोले।
-प्रस्तावित विषयों पर अधिकारी अन्य से अनावश्यक चर्चा न करें।
-विभागीय उच्चाधिकारियों के अलावा अनुभागों व कार्यालयों में बिना शासकीय कार्य के अनधिकृत बाहरी व्यक्तियों व पत्रकारों का पूर्णत: प्रवेश प्रतिबंधित रखा जाए।
सरकार चौथे स्तंभ का पूरा सम्मान करती है। कैबिनेट के विषय संवेदनशील और अतिमहत्वपूर्ण होते हैं। उनमें गोपनीयता बनाया जाना आवश्यक है। प्रेस ब्रीफिंग के माध्यम से मीडिया को विषयों की जानकारी दी ही जाती है। मीडिया से दूरी बनाने का कोई सवाल नहीं है। -मदन कौशिक, शासकीय प्रवक्ता, उत्तराखंड सरकार।