सरकार ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए बढ़ाया बजट, विशेषज्ञों ने कहा- यह सरकार की गंभीरता का प्रमाण
दिल्ली-एनसीआर में लोग स्वच्छ हवा में सांस ले सकेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार की गंभीरता केंद्रीय बजट में देखने को मिली है। प्रदूषण से जंग के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) को 38.98 करोड़ रुपये आवंटित हुए हैं, जबकि गत वर्ष 16.23 करोड़ रुपये दिए गए थे।
इसी तरह केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) को 126 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है। गत वर्ष 112 करोड़ दिए गए थे। इसे राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) के तहत खर्च किया जाएगा। यही नहीं, पीएम ई-ड्राइव योजना का बजट भी दोगुना कर दिया है। ऐसे में सरकार ने वायु प्रदूषण के विरुद्ध के लिए सरकार ने अपनी कमर कस ली है।
वायु प्रदूषण से निपटने, जागरूकता व नए नियम बनाने में मदद मिलेगी। आवंटित राशि से राज्यों को स्वच्छ हवा सुनिश्चित व व्यापक योजना तैयार करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसका बड़ा हिस्सा दिल्ली-एनसीआर पर खर्च होगा जिससे हर साल प्रदूषण की मार झेलने वाले करोड़ों लोग साफ हवा में सांस ले सकेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि वायु गुणवत्ता प्रबंधन के मुद्दे को अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों उपायों के माध्यम से बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है। शहरों में प्रदूषण के उच्च स्तर को देखते हुए, यह वास्तव में एक सकारात्मक कदम है। इससे उम्मीद है कि राज्यों में प्रदूषण के स्रोतों की निगरानी में सुधार होगा।
पीएम ई-ड्राइव योजना का बजट भी हुआ दोगुना
पीएम ई-ड्राइव योजना का उद्देश्य देश भर में ईवी अपनाने में तेजी लाना और आवश्यक चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना करना है। इससे स्वच्छ और अधिक टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा मिले। विशेतषज्ञों की भी सबसे जरूरी मांगों में एक मांग ईवी को और ज्यादा सुलभ बनाने के लिए लक्षित सब्सिडी और वित्तीय सहायता के अभिनव मॉडल की थी। ऐसे में सरकार ने पीएम ई-ड्राइव योजना का बजट दोगुना कर दिया है। इससे ई-वाहन को बिक्री में असर देखने को मिलेगा। इस योजना में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने, ई-बसों के बेड़े का विस्तार करने और ई-वाहनों के लिए परीक्षण सुविधाओं को उन्नत करने के लिए अनुदान भी शामिल है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के लिए वित्तीय बजट में वृद्धि दिल्ली-एनसीआर में परिवर्तनकारी बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन, विभिन्न कदम उठाने के बावजूद, वायु गुणवत्ता में अधिक सुधार नहीं हुआ है। इसके लिए निरंतर प्रयासों की आवश्यकता है।
डॉ. अंजू गोयल, एसोसिएट डायरेक्टर, टेरी
बजट में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम या संबंधित किसी भी आयोग पर ठीक से प्रकाश नहीं डाला है। बैटरी चालित वाहनों का समर्थन करने के लिए कई खर्च प्रस्ताव हैं, जिनमें वाहनों के उत्सर्जन को कम करने व वायु गुणवत्ता में सुधार में योगदान करने की क्षमता है।
अनुमिता रॉय चौधरी, कार्यकारी निदेशक, सीएसई