सरकार को अर्थव्यस्था में लगा दोहरा झटका
भले ही विदेशी कम्पनी की रेटिंग में भारत की स्थिति में सुधार हुआ हो , लेकिन हकीकत तो यह है कि सरकार इन दिनों दोहरे संकट का सामना कर रही है.एक ओर खुदरा महंगाई बढ़ी है, तो वहीँ दूसरी ओर उत्पादन गिर गया है. ऐसी दशा में सरकार को अर्थव्यस्था में दोहरा झटका लगा है.
उल्लेखनीय है कि देश में नवंबर में खुदरा महंगाई 4.88 फीसदी पर पहुंच गई ,जबकि केन्द्र सरकार को उम्मीद थी कि खुदरा महंगाई नवंबर माह में 4 फीसदी के आसपास रहेगी.जबकि अक्टूबर माह में महंगाई दर 3.58 फीसदी रही थी. दूसरी विपरीत स्थिति उत्पादन को लेकर सामने आई है. देश में औद्योगिक रफ्तार के आंकड़े भी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छे नहीं हैं. औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर अक्टूबर में गिर कर 2.2 फीसदी रह गई. जबकि सितंबर में देश का औद्योगिक उत्पादन 3.8 फीसदी था. वहीं गत वर्ष इसी माह में यह आंकड़ा 4.2 प्रतिशत था. इस हिसाब से पिछले साल की तुलना में देश में औद्योगिक उत्पादन निचले स्तर पर पहुँच गया है.
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बता दें कि अक्टूबर में मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर की ग्रोथ गिरकर 2.5 फीसदी पहुंच गई, जबकि सितंबर में यह 3.4 फीसदी पर थी. वहीं पिछले साल अक्टूबर के दौरान यह आंकड़ा 4.8 फीसदी पर था. इन हालातों के बावजूद वित्त मंत्रालन ने रिजर्व बैंक को कहा था कि महंगाई पर उसका नियंत्रण है, इसलिए ब्याज दरों में कटौती की जाए. लेकिन रिजर्व बैंक को महंगाई बढ़ने का अंदेशा था इसलिए अक्टूबर में मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी ने रेपो रेट को 6 फीसदी पर कायम रखा था. हाल ही में हुई दूसरी मीटिंग में भी रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती नहीं की है.