सरकार ने आदिवासियों के लिए खोला खजाना
वंचित वर्ग को अपनत्व के संदेश से सींचने के लिए देश की राजनीति हिलोरें मार रही है। इस बीच भाजपा ने उस पर विकास के सेतु को मजबूत करते हुए आदिवासियों के और करीब पहुंचने के प्रयास तेज कर दिए हैं। इस बार सरकार ने जातीय कार्य मंत्रालय के बजट में पिछले वर्षों की तुलना वृद्धि करते हुए आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विकास योजनाओं को गति देने की इरादा साफ किया है।
जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिए बजट
अलग-अलग मदों में बजट वृद्धि के अतिरिक्त जिस तरह से धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के लिए बजट का खजाना खोला गया है, उसका लाभ 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग पांच करोड़ आदिवासियों को मिलने की संभावना है।
मंत्रालय के अनुसार, इस अभियान का उद्देश्य आदिवासी बहुल 63843 गांवों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य और आंगनवाड़ी सुविधाओं को बेहतर करना और आजीविका के अवसर बढ़ाना है।
पांच करोड़ आदिवासियों को लाभ मिलने की संभावना
माना जा रहा है कि इस अभियान से पांच वर्षों में 30 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के 549 जिलों के लगभग पांच करोड़ आदिवासियों को लाभ मिलने की संभावना है। इस अभियान के तहत पंचायतीराज मंत्रालय भी काम कर रहा है, जिसने इस योजना के मद में पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में बजट को पांच करोड़ से बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये कर दिया है।इसी तरह से आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के उद्देश्य से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों का बजट बीते वर्ष के 4748 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 7088.60 करोड़ रुपये किया गया है।
बजट 152 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 380 करोड़ रुपये
आदिवासियों की आय के नए अवसर तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री जनजातीय विकास मिशन का बजट 152 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 380 करोड़ रुपये किया गया है। प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) का बजट दोगुणा किया गया है।पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में इसे 150 करोड़ रुपये से बढ़ाते हुए 300 करोड़ रुपये कर दिया गया है। इस योजना से आदिवासी क्षेत्रों में आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, सड़क आदि का विकास करते हुए कमजोर आदिवासी समूहों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाना उद्देश्य है।
लोकसभा की 47 एसटी आरक्षित सीटें चुनाव परिणाम पर बड़ा असर डालती हैं
वहीं, प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना का बजट भी 127.51 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 335.97 करोड़ रुपये किया गया है। उल्लेखनीय है कि कई राज्यों में जनजाति वर्ग का मजबूत प्रभाव है और लोकसभा की 47 एसटी आरक्षित सीटें चुनाव परिणाम पर बड़ा असर डालती हैं।