गोंडा: 639 गांवों में 82 करोड़ से बनेंगे अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र!

गांव में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए दूसरे चरण में कार्य किया जा रहा है। पंचायती राज विभाग की ओर से 639 गांवों का चयन किया गया है। जहां कूड़ा एकत्र करके उसकी छंटाई की जाएगी। इसके लिए सभी गांवों में करीब 82 करोड़ की धनराशि खर्च की जाएगी।
गांव में ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के लिए पहले चरण में पंचायती राज विभाग की ओर से 72 गांव चयनित किए गए थे। पांच हजार से ज्यादा आबादी वाले इन गांवों में अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनाए गए हैं। वहीं, अब दूसरे चरण में पांच हजार से कम आबादी वाले गांवों को चयनित किया गया है। जहां कूड़ा प्रबंधन केंद्र बनाए जाएंगे। गांव के प्रत्येक घर से एकत्र होने वाले कूड़े से यहां पर प्लास्टिक, मेटल व जैविक कचरा अलग किया जाएगा। जैविक कचरे का प्रयोग खाद के रूप में तो प्लास्टिक व अन्य कचरे को दूसरे केंद्र पर भेजने की व्यवस्था की जानी है। स्वच्छ भारत मिशन के जिला समन्वयक रमन ने बताया कि अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र में कार्यदायी संस्था ग्राम पंचायत ही होगी, जो कि गांव की आबादी के अनुसार केंद्र की रूपरेखा तय करेगी।
केंद्र बनाने में खर्च होंगे 340 रुपये प्रति व्यक्ति
पांच हजार से कम आबादी वाले अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनाने में 340 रुपये प्रति व्यक्ति के अनुसार खर्च का निर्धारण शासन की ओर से किया गया है। गांव की कुल आबादी के 140 गुणांक के बराबर धनराशि खर्च होगी। औसत रूप से गांव की आबादी चार हजार लोगों की है तो केंद्र बनाने में 13 लाख 60 हजार रुपये खर्च किए जाएंगे। जबकि पहले चरण में 700 रुपये प्रति व्यक्ति के हिसाब से धनराशि जारी की गई थी।
वजीरगंज भेजा जाएगा प्लास्टिक अपशिष्ट
गांव के कूड़े में निकलने वाला प्लास्टिक अपशिष्ट छंटाई करने के बाद वजीरगंज भेजा जाएगा। वजीरगंज में निर्माणाधीन प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र में अलग-अलग तरह के कचरे को रिसाइकिल किया जाएगा। इसके बाद इसे सड़क बनाने, प्लास्टिक टाइल्स बनाने व अन्य कार्यों में प्रयोग किया जाएगा।
स्वच्छता अभियान को मिलेगी गति
दूसरे चरण में पांच हजार से कम आबादी वाले 639 गांवों का चयन अपशिष्ट प्रबंधन केंद्र बनाने के लिए किया गया है। केंद्र बनने के बाद गांव में कूड़े की छंटाई कर स्वच्छता अभियान को गति मिलेगी।