गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार दिया जाएगा, इस एलान के बाद कांग्रेस पर बीजेपी ने निशाना साधा

गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के एलान के बाद से ही कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने है। कांग्रेस लगातार इस मुद्दे पर सरकार पर हमला बोल रही है। वहीं, बीजेपी नेता भी इस पर पलटवार कर रहे हैं। बीजेपी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कांग्रेस को आड़े हाथ लिया है।

बीजेपी नेता ने कहा, ‘मुस्लिम लीग धर्मनिरपेक्ष है और आरएसएस सांप्रदायिक है, ये आज का एजेंडा नहीं है। यह एक एजेंडा है जो नेहरू जी के जमाने का है। ये विचार जो है वो खानदानी है, ये उनकी रूहानी सोच है। इसलिए मैं दोहराना चाहूंगा कि गीता प्रेस के मुद्दे पर कांग्रेस ने जो चरित्र दिखाया है। वह भारत, भारतीय संस्कृति, हिंदुत्व और महात्मा गांधी के आदर्शों के प्रति उनका अनादर दिखाता है।

नाम बदलना से चरित्र नहीं बदला

सुधांशु त्रिवेदी ने आगे कहा कि नाम बदलना से चरित्र नहीं बदल जाता है। गांधी जी का नाम रखने से वो चरित्र नहीं आ जाता। वीर सावरकर जी का अपमान करना और गांधी की हत्या के साथ उन्हें जोड़ने की कोशिश करना… ये अब बहुत हो गया है। गीता प्रेस के मुद्दे पर कांग्रेस ने तो चरित्र दिखाया है ये उनकी भारत, भारतीयता, भारतीय संस्कृति के अपमान का उदाहरण है।

कांग्रेस ने क्या कहा था?

इससे पहले, कांग्रेस महासविच जयराम रमेश ने कहा था कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना एक उपहास है और गोडसे-सावरकर को सम्मानित करने जैसा है। इसके जवाब में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा था कि गीता प्रेस भारत की संस्कृति, मूल्यों, हिंदू मान्यताओं से जुड़ी है। यह किफायती साहित्य का निर्माण करती है। घर-घर में उसकी पहुंच है। आरोप वो लगा रहे हैं जो मुस्लिम लीग को धर्मनिरपेक्ष मानते हैं।

वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा जाना गीता प्रेस के भगीरथ कार्यों का सम्मान है। भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है।

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