द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी पर इस स्तोत्र के द्वारा करें गणेश जी को प्रसन्न

पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान गणेश की आराधना की जाती है। कई साधक इस दिन पर व्रत भी करते हैं। ऐसा करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। ऐसे में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश संकटनाशन स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। माना जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से साधक के सभी दुख-दर्द दूर हो सकते हैं।

संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त (Shubh Muhurat)
फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 फरवरी को रात्रि 01 बजकर 53 मिनट पर हो रही है। जिसका समापन 29 फरवरी को प्रातः 04 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 28 फरवरी, बुधवार के दिन किया जाएगा।

गणेश संकटनाशन स्तोत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम।

भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये।।1।।

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम।

तृतीयंकृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रंचतुर्थकम।।2।।

लम्बोदरं पंचमंच षष्ठं विकटमेव च।

सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णतथाष्टकम्।।3।।

नवमं भालचन्द्रं च दशमं तुविनायकम।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तुगजाननम।।4।।

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो।।5।।

विद्यार्थी लभतेविद्यांधनार्थी लभतेधनम्।

पुत्रार्थी लभतेपुत्रान्मोक्षार्थी लभतेगतिम्।।6।।

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलंलभेत्।

संवत्सरेण सिद्धिं च लभतेनात्र संशय: ।।7।।

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत।

तस्य विद्या भवेत्सर्वागणेशस्य प्रसादत:।।8।। ॥

इति श्रीनारदपुराणेसंकष्टनाशनंगणेशस्तोत्रंसम्पूर्णम्॥

गणेश संकटनाशन स्तोत्र पाठ के लाभ
संकटनाशन स्तोत्र का वर्णन नारद पुराण में किया गया है। माना जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक के सभी दुख और सकंट दूर होते हैं। ऐसे में संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश पूजन के दौरान इस स्तोत्र के पाठ करके आप गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं भी पूर्ण हो सकती हैं। इस दिन पूजा में गणेश जी को दर्वा और मोदक जरूर अर्पित करें।

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