100 साल पहले गांधीजी हुए थे इस जानलेवा वायरस से संक्रमित
आज महात्मा गांधी की 151वीं जयंती है। पूरे भारत में दो अक्तूबर को गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। चूंकि इस बार दुनियाभर में कोरोना महामारी फैली हुई है, इसलिए इस बार हम गांधीजी से जुड़ी एक ऐसी कहानी लेकर आए हैं, जो महामारी से ही जुड़ी हुई है। दरअसल, साल 1918 में भारत समेत पूरी दुनिया में स्पेनिश फ्लू महामारी फैली थी और कहा जाता है कि इसकी चपेट में गांधीजी भी आ गए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात स्थित अपने आश्रम में ही वह स्पेनिश फ्लू से संक्रमित हो गए थे। उस समय उन्हें दक्षिण अफ्रीका से लौटे सिर्फ चार साल ही हुए थे और उनकी उम्र 48 साल थी।
बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेनिश फ्लू से संक्रमित होने के बाद गांधीजी को पूरी तरह से आराम करने को कहा गया था और सिर्फ तरल पदार्थों का सेवन करते थे। हालांकि इस बारे में तो विस्तृत जानकारी नहीं है कि वह कितने दिनों के लिए बीमार पड़े थे, लेकिन कहा जाता है कि वह पहली बार लंबे समय के लिए बीमार हुए थे।
जब गांधीजी की बीमारी के बारे में लोगों को पता चला तो एक स्थानीय अखबार ने लिखा था, ‘गांधीजी का जीवन सिर्फ उनका नहीं है बल्कि देश का है।’ हालांकि बाद में वह ठीक हो गए थे। कहा जाता है कि उस वक्त स्पेनिश फ्लू बीमारी से भारत की करीब छह फीसदी यानी करीब पौने दो करोड़ लोग मौत के मुंह समा गए थे।
कहा जाता है कि स्पेनिश फ्लू महामारी से दुनिया की एक तिहाई आबादी प्रभावित हुई थी जबकि करीब पांच से दस करोड़ लोगों की मौत हो गई थी। ऐसा माना जाता है कि उस समय मौतें ज्यादा इसलिए हुई थीं, क्योंकि तब एंटीबायोटिक का चलन बड़े पैमाने पर नहीं शुरू हुआ था और न ही इतने सारे मेडिकल उपकरण ही मौजूद थे, जिससे गंभीर रूप से बीमार लोगों का इलाज कर उनकी जान बचाई जा सकती।
द टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्पेनिश फ्लू बीमारी के मुख्य लक्षण थे, कम से कम तीन दिन से तेज बुखार और पीठ में दर्द होना। उस समय भी कोरोना महामारी की तरह ही लोगों को घर से बाहर न निकलने, पोषक तत्वों से भरपूर खाना खाने और कसरत करने की सलाह दी गई थी।