G20: यूक्रेन युद्ध पर ट्रंप की शांति योजना को लेकर असहमति

G20 में यूक्रेन युद्ध पर अमेरिकी शांति प्रस्ताव चर्चा का मुख्य मुद्दा बना। प्रस्ताव में रूस की कुछ मांगों को जगह दी गई, जिस पर यूरोपीय देशों ने आपत्ति जताई। उनका कहना है कि सीमाएं बलपूर्वक नहीं बदली जा सकतीं और यह मसौदा अभी अधूरा है। ऐसे में अब सवाल खड़ा हो रहा है कि रूस-यूक्रेन युद्ध खत्म करने की राह क्या आसान होगी, जब खुद G20 में अमेरिका की शांति योजना पर ही असहमत हैं?

तीन साल से ज्यादा समय से चल रहे रूस और यूक्रेन संघर्ष को खत्म करने के लिए जब दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में चल रहे G20 शिखर सम्मेलन में आवाज उठी, तब अमेरिकी प्रस्ताव पर पश्चिमी देशों का रुफ अलग दिखा। अमेरिका की प्रस्तावित शांति योजना पर पश्चिमी देशों ने गंभीर आपत्तियां जताई। यह योजना हाल ही में सामने आई थी, जिसमें रूस की कुछ मांगों को शामिल किया गया है, जैसे यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र के कुछ हिस्से रूस को देने, यूक्रेन की सैन्य क्षमता सीमित करने और नाटो में शामिल होने की उसकी इच्छा छोड़ने जैसी शर्तें। ऐसे में अमेरिका ने यूक्रेन को गुरुवार तक इस प्रस्ताव पर जवाब देने की समयसीमा दी है।

इस बीच, यूरोपीय देशों के नेताओं ने शिखर सम्मेलन के दौरान आपस में चर्चा की और संयुक्त बयान जारी किया। नेताओं ने कहा कि इस मसौदे में कुछ महत्वपूर्ण तत्व हैं, लेकिन यह एक ऐसी बुनियाद है जिस पर और काम करने की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सीमाएं बलपूर्वक नहीं बदली जा सकतीं। इस बयान पर ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, नीदरलैंड्स, आयरलैंड, फिनलैंड, नॉर्वे, यूरोपीय संघ, कनाडा और जापान के नेताओं ने हस्ताक्षर किए।

स्टार्मर ने उठाई यूक्रेन की सुरक्षा की चिंता

अमेरिकी प्रस्ताव पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री किएर स्टार्मर ने कहा कि प्रस्ताव में यूक्रेन की सेना की क्षमता पर सीमा लगाने वाली बात बेहद चिंताजनक है, क्योंकि किसी भी युद्धविराम की स्थिति में यूक्रेन का आत्मरक्षा के लिए सक्षम होना जरूरी है। बाद में स्टार्मर ने डोनाल्ड ट्रंप से फोन पर बात की और कहा कि उनकी टीमें जिनेवा में होने वाली आगे की बातचीत में साथ काम करेंगी। इससे पहले उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी बात की और यूक्रेन के लिए ब्रिटेन के मजबूत समर्थन को दोहराया। बता दें कि अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्विट्जरलैंड में इस शांति प्रस्ताव के विस्तृत बिंदुओं पर चर्चा करने वाले हैं।

जी20 समूह अपनी दिशा खो रहा- मैक्रों

वहीं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने G20 की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह समूह अपनी दिशा खो रहा है क्योंकि कई बड़े मुद्दों पर सदस्य देश सहमति नहीं बना पा रहे। उन्होंने कहा कि यूक्रेन में शांति यूक्रेनियों और उनकी संप्रभुता के सम्मान के बिना संभव नहीं है। मैक्रों ने चेतावनी दी कि यदि दुनिया के बड़े देश G20 के भीतर फिर से एकजुट नहीं हुए, तो यह मंच कमजोर हो जाएगा। मैक्रों की इन बातों पर ब्रिटिश प्रधानमंत्री स्टारमर ने भी सहमति जताई और कहा कि दुनिया जिन चुनौतियों का सामना कर रही है, उनसे निपटने के लिए G20 को नई भूमिका निभानी होगी।

ट्रंप की अनुपस्थिति और शिखर सम्मेलन की चुनौतिया

गौरतलब है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस बार G20 शिखर सम्मेलन का बहिष्कार किया। उनके न आने और रूस व चीन जैसे अन्य नेताओं की अनुपस्थिति को लेकर चिंता थी कि शिखर सम्मेलन की विश्वसनीयता कम हो सकती है। फिर भी, मेजबान राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने कहा कि G20 आज भी वैश्विक सहयोग के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि दुनिया की बड़ी चुनौतियां केवल साझेदारी और मिलकर प्रयास से ही हल हो सकती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button