ठगी का पैसा विदेशी एप से हांगकांग भेज रहे जालसाज

दिल्ली: रकम को कई बैंक खातों में घुमाकर ट्रस्ट वॉलेट ऐप के जरिये क्रिप्टो या यूएस डॉलर में बदल दिया जाता है। इसके बाद ऑनलाइन मार्केट में बेचकर विदेशी बैंक खातों में रकम ट्रांसफर कर दी जाती है।

देश के लोगों से ठगी गई रकम साइबर जालसाज विदेश ले जा रहे हैं। रकम को कई बैंक खातों में घुमाकर ट्रस्ट वॉलेट ऐप के जरिये क्रिप्टो या यूएस डॉलर में बदल दिया जाता है। इसके बाद ऑनलाइन मार्केट में बेचकर विदेशी बैंक खातों में रकम ट्रांसफर कर दी जाती है। कूरियर के जरिये वसूली में गिरफ्तार छह आरोपियों से पूछताछ में ये खुलासा हुआ है। ठगी गई रकम हांगकांग जा रही थी।

पुलिस सूत्रों का दावा है कि गिरोह को हांगकांग में बैठे सरगना संचालित कर रहे हैं। भारत में इन्हें सिर्फ करंट बैंक खाते की जरूरत होती है। गिरोह के एजेंट लेनदेन करते समय आने वाले ओटीपी को एक ऐप के जरिये सरगना को शेयर करते रहते हैं। छानबीन के दौरान एक दिन में एक बैंक खाते में सवा तीन करोड़ की लेनदेन का खुलासा हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि सैकड़ों खातों में एक ही दिन में हजारों करोड़ रुपये इधर-उधर घुमाकर विदेश भेज दिए जाते हैं।

विदेशों में बैठे ज्यादातर साइबर ठग हेराफेरी करने के तरीकों पर काम करते हैं। स्पूफ कॉल से भारत में बैठे लोगों को विदेशों से कॉल कर ठगा जाता है। इसके बाद ठगी की रकम को कई खातों में घुमाकर ट्रस्ट वॉलेट में डाला जाता है। इसके बाद बिटगेट या बिनांस एप के जरिये रकम से क्रिप्टो या यूएस डॉलर खरीद लिए जाते हैं। इन्हें या तो सीधे विदेश में ट्रांसफर कर लिया जाता है या मार्केट में क्रिप्टो या यूएस डॉलर को बेचकर रकम को वैध तरीके से खातों में ट्रांसफर कर लिया जाता है, चूंकि इन ऐप के जरिये होने वाला लेनदेन सरकार की नजर में नहीं होता, इसलिए आसानी से काली कमाई को वैध कर लिया जाता है।

फिलहाल, चीन, हांगकांग, दुबई, कंबोडिया, इंडोनेशिया समेत कई देशों में ठगी का कारोबार चल रहा है। आरोपियों ने अपने टेलीग्राम ग्रुप बनाए हुए हैं। यहां पर सूचनाओं का आदान-प्रदान होता है। साइबर ठगी की साजिश भी यहीं रची जाती है।

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