FPI बिकवाली का सिलसिला जारी, विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों से निकाले 18,077 करोड़!
अमेरिकी डॉलर में मजबूती और बॉन्ड यील्ड में बढ़ोतरी के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) भारतीय इक्विटी और ऋण बाजारों से लगातार निकासी कर रहे हैं। क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (CCIL) के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर में एफपीआई ने फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) वाली सरकारी प्रतिभूतियों में 8,750 करोड़ रुपए की बिकवाली की है, जबकि अक्टूबर में 5,142 करोड़ रुपए की बिकवाली दर्ज की गई थी। इक्विटी बाजार में भी विदेशी निवेशकों ने इस महीने 13 नवंबर तक 18,077 करोड़ रुपए के शेयर बेचे हैं।
अमेरिकी और भारतीय बॉन्ड यील्ड में कम अंतर
जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के ट्रेजरी प्रमुख गोपाल त्रिपाठी का कहना है कि अमेरिकी बॉन्ड यील्ड 4.40% और भारत के सरकारी बॉन्ड यील्ड 6.80% पर हैं, जिससे यील्ड में सिर्फ 240 आधार अंकों का अंतर रह गया है। रुपए के अवमूल्यन के कारण विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय बॉन्ड का आकर्षण कम हो रहा है, जिससे वे बिकवाली जारी रख सकते हैं।
डॉलर की मजबूती का प्रभाव
डॉलर की मजबूती से रुपया 84.41 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिससे भी भारतीय बाजारों से एफपीआई का निवेश घटा है। एवेंडस कैपिटल के एंड्रयू हॉलैंड के अनुसार, एफपीआई का निवेश जल्दी लौटने की संभावना कम है। हालांकि भारत अभी भी उभरते बाजारों में बेहतर स्थिति में है और निकासी जल्द ही स्थिर हो सकती है।
भारतीय बॉन्ड का अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में प्रवेश
भारत 31 जनवरी 2025 से ब्लूमबर्ग इमर्जिंग मार्केट लोकल करेंसी गवर्नमेंट इंडेक्स में शामिल हो जाएगा, जो विदेशी निवेश को आकर्षित कर सकता है। जेपी मॉर्गन के सूचकांक में भारतीय सरकारी बॉन्ड के शामिल होने के बाद एफएआर प्रतिभूतियों में 52,890 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश हुआ है।
FPI निवेश की संभावनाएं
हालांकि, एफपीआई ने अप्रैल से ऋण बाजार में निवेश किया था लेकिन अक्टूबर से बिकवाली का सिलसिला शुरू हो गया है। विश्लेषकों के अनुसार, उभरते बाजारों में भारत की मजबूत स्थिति और अंतरराष्ट्रीय सूचकांकों में भारतीय बॉन्ड का समावेश निकासी को धीमा कर सकता है और निवेश को आकर्षित कर सकता है।