व्लादिमीर पुतिन की हुई बड़ी जीत, आज चौथी बार बनेंगे रूस के राष्ट्रपति

तीन बार से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सोमवार यानी आज चौथी बार राष्ट्रपति पद की शपथ लेने जा रहे हैं। वह मार्च में चुनाव जीते थे। वह पिछले 18 वर्षों से सत्ता में है, चाहें वह राष्ट्रपति के रूप में हों या फिर प्रधानमंत्री के रूप में। पुतिन के विरोधी उनके इस कार्यकाल को ज़ार(सम्राट) के रूप में देख रहे हैं।
व्लादिमीर के शपथ लेने से पहले ही रूस में उनका विरोध शुरू हो चुका है। लेकिन इससे पहले रूस के मास्को और सेंट पीटर्सबर्ग समेत बीस शहरों में शनिवार को उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। उनके विरोधी नेता और भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम चला रहे अलेक्सी नवाल्नी समेत 1600 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। सिर्फ मास्को में 500 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई हैं।
हजारों लोगों ने पुतिन के खिलाफ मॉस्को के पुश्किन स्क्वेयर पर प्रदर्शन किया। लोग पुतिन के फिर से राष्ट्रपति के पद पर काबिज होने के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे। प्रदर्शनकारियों की अगुआई एंटी-करप्शन कैंपेनर और पुतिन के विरोधी रहे अलेक्सी नवाल्नी ने की।
प्रदर्शनकारियों ने पुतिन विरोधी नारे लगाते हुए कहा कि वह रूस के लोगों की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें गद्दी छोड़ देनी चाहिए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पुतिन उनके जार नहीं हैं। इससे पहले मई 2012 में भी पुतिन के तीसरे कार्यकाल के वक्त भी हजारों लोगों ने प्रदर्शन किया था। पुतिन पर लगातार विपक्ष के दमन का आरोप लगता रहा है।
18 साल से रूस की सत्ता पर काबिज पुतिन
मार्च में हुए चुनाव में पुतिन ने 77 फीसदी वोट हासिल किए थे। पुतिन अब रूस में जोसेफ स्टालिन के बाद सबसे ज्यादा सत्ता में काबिज रहने वाले नेता बन चुके हैं। नवाल्नी ने उन्हें चुनौती पेश की थी लेकिन उन्हें वोट डालने से ही रोक दिया गया। नवाल्नी के समर्थकों ने उन्हें चुनाव से बाहर करने का आरोप लगाया।
व्लादिमीर पुतिन 2000, 2004 और 2012 में राष्ट्रपति चुने गए थे। 2008-12 तक पुतिन प्रधानमंत्री चुने गए थे। पुतिन, रूस (तब सोवियत संघ रहे) के तानाशाह रहे जोसेफ स्टालिन के बाद सबसे लंबे वक्त तक शासन करने वाले लीडर बन चुके हैं। स्टालिन 1922 से 1952 तक 30 साल सत्ता में रहे थे।
अर्थव्यवस्था को उबारना है चुनौती
सीरिया में सैन्य हस्तक्षेप और यूक्रेन से क्रीमिया को हड़प लेने के चलते पुतिन का पिछला कार्यकाल चर्चा में रहा। पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों और 2016 में दुनिया भर में गिरी कच्चे तेल की कीमतों के बाद रूस की अर्थव्यवस्था को उबारना बड़ी चुनौती साबित हो रहा है। वहीं इस चुनाव से पहले पुतिन ने लोगों से जीवन स्तर में सुधार का वादा किया था।