ऑस्ट्रेलिया में चार साल की मेहनत आई काम, पुलिस की भर्ती पास कर बने हेड कांस्टेबल

विदेश में जाकर पढ़ाई के साथ मेहनत करके युवाओं के डॉलर कमाने के सपने अकसर उन्हें एक तरह से मशीन बनने पर मजबूर कर देते है। लेकिन कई बार विदेशों में की मेहनत अपने ही देश में ऐसा मुकाम दे देती है कि वह बाद में कभी बाहर जाने की सोचते भी नहीं। ऐसी ही एक मिसाल बने गांव कलंजर उताड़ के अमरिंदर सिंह।

2007 में ऑस्ट्रेलिया गए अमरिंदर सिंह ने कहा कि दो साल में पढ़ाई पूरी कर वर्क परमिट लेकर काम शुरू कर दिया, लेकिन छुट्टी या सुबह काम पर जाने से पहले मां-बाप पर वीडियो कॉल पर बात होती तो कहीं न कहीं दिल करता, सब कुछ छोड़ कर वापस चला जाए। पर डॉलर की चकाचौंध घर जाने से रोक देती। उन्होंने कहा कि आखिर दिल में ठान लिया कि इकलौता मां-बाप का बेटा होने के चलते फर्ज बनता है कि अब वापिस अपने गांव जाकर उनके साथ रहूं और 9 जुलाई 2010 को वापिस अपने गांव आ गया।

2011 में पंजाब पुलिस में निकली र्थी भर्तियां
अमरिंदर सिंह ने कहा कि वापिस आने के बाद गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी में एमएससी-आईटी में दाखिला लिया। इस दौरान अकाली-भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2011 में पंजाब पुलिस में भर्ती शुरू हो गई। उन्होंने कहा कि ऑस्ट्रेलिया में 4 साल दिन-रात की मेहनत से खुद पर इतना विश्वास था कि पंजाब पुलिस के ट्रायल तो निकाल ही लूंगा। इसी विश्वास को मन में लेकर अप्लाई किया और कामयाबी हासिल की और इस समय पंजाब पुलिस में बतौर हैड कांस्टेबल अपनी ड्यूटी दे रहे है।

युवाओं को विदेश के बजाय यहां करनी चाहिए मेहनत
अमेरिका से डिपोर्ट होकर आए युवकों को हौसला देते अमरिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें जिदंगी में कभी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, बल्कि यहां पर ही मेहनत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लगातार की मेहनत एक न एक दिन इंसान जरूर कामयाब बनाती है।

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