शहाबुद्दीन की नाक में दम करने वाले बिहार के पूर्व DGP डीपी ओझा का निधन

बिहार के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) डीपी ओझा (DP Ojha) का लंबी बीमारी के बाद शुक्रवार को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। बिहार कैडर के 1967 बैच के भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी ओझा का निधन पटना में स्थित उनके आवास पर हुआ। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में कानून व्यवस्था को सुद्दढ़ करने और राजनीति एवं अपराध के गठजोड़ के खिलाफ सख्त कदम उठाने के लिए ख्याति पाई थी।

डीजीपी कार्यकाल के दौरान राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और सीवान के सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की नाक में दम कर देने वाले डीपी ओझा कुछ समय से बीमार चल रहे थे। स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से पीड़ित ओझा भारतीय पुलिस सेवा की नौकरी से वीआरएस लेने के बाद से पटना में ही रह रहे थे। लालू यादव ने मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की सरकार में डीपी ओझा को डीजीपी बनाया था। पूर्व डीजीपी की शख्सियत तब भी राजनीति से जुड़ी हुई थी जब वह पुलिस सेवा में थे। वैचारिक रूप से वह वाम दल की आइडियोलॉजी के साथ थे। उनकी पुलिसिया शख्सियत को तब काफी नाम मिला जब उन्होंने तत्कालीन राजनीत के सिरमौर लालू प्रसाद की एक नहीं सुनते मो. शहाबुद्दीन के खिलाफ मोर्चा खोला और उनके लिए जेल का दरवाजा खोला।

नतीजतन लालू प्रसाद यादव से जो करीबी थी वह भी टूटी और उन्हें लालू प्रसाद का कोपभाजन बनना पड़ा और उन्हें दिसंबर 2003 में डीजीपी के पद से हटा दिया। भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) में अपना लंबा और सफल करियर बिताने के बाद ओझा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी।डीपी ओझा ने वर्ष 2004 में बेगूसराय लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

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