
देवभूमि उत्तराखंड की धरती वीर प्रसूता है। इस पावन माटी में जन्म लेते हैं जांबाज सिपाही। वीर गबर सिंह, दरबान सिंह और चंद्र सिंह गढ़वाली की शौर्य गाथाओं को सुनकर बड़े हुए पहाड़ के युवाओं में फौजी बनने की चाहत रची-बसी है।वीर गबर सिंह दरबान सिंह और चंद्र सिंह गढ़वाली की शौर्य गाथाओं को सुनकर बड़े हुए पहाड़ के युवाओं में फौजी बनने की चाहत रची-बसी है। आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) विंग के दीक्षा समारोह में यह बात फिर एक बार नुमाया हुई।
यहां के लोग के लिए सेना सिर्फ रोजगार का अवसर नहीं, बल्कि एक परंपरा भी है। राज्य में एकाध नहीं, ऐसे अनेक सैन्य परिवार हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी देश सेवा कर रहे हैं। आर्मी कैडेट कालेज (एसीसी) विंग के दीक्षा समारोह में यह बात फिर एक बार नुमाया हुई।
चौथी पीढ़ी फौज में
अवार्ड पाने वाले चार भावी अफसरों में दो उत्तराखंड निवासी हैं। जिनकी चौथी पीढ़ी फौज में है। हरबर्टपुर के आकाश परिवार के पहले अफसर हरबर्टपुर निवासी आकाश राणा को चीफ आफ आर्मी स्टाफ स्वर्ण पदक एवं कला वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल मिला है। उनकी चार पीढ़ियां फौज में रही हैं। उनके परदादा गंगा सिंह राणा विश्व युद्ध का हिस्सा रहे। दादा ज्ञान सिंह और पिता हेमराज भी सेना से रिटायर हैं।
बचपन से ही आकाश का सपना सेना में अफसर बनने का था। एनडीए व सीडीएस परीक्षा दी पर सफल नहीं हुए। इस बीच उन्होंने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी। उत्तरांचल विवि से एमबीए किया। पर मन में वर्दी की ललक थी, इसलिए वर्ष 2018 में सेना में भर्ती हो गए।
इसके बाद भी उन्होंने मेहनत जारी रखी और अब परिवार के पहले सैन्य अफसर बनेंगे। आकाश ने बताया कि उनके पिता एक सुरक्षा एजेंसी में मैनेजर हैं। आकाश की दो बहनें हैं। एक बहन अनमोल इंडिगो एयरलाइंस में नौकरी करती है और दूसरी बहन ऐश्वर्या सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रही हैं। आकाश की मां नीलम गृहिणी हैं।
पिता का सपना किया पूरा, मोहित बनेंगे अफसर
पिथौरागढ़ के ग्राम सिराड़ निवासी मोहित कापड़ी को सर्विस ट्रेनिंग में कमांडेंट सिल्वर मेडल मिला है। मोहित की भी चार पीढ़ियां फौज में रही हैं। वे अपने परिवार से पहले सैन्य अफसर होंगे। उन्होंने बताया कि उनके पिता तीन पैरा से बतौर सूबेदार सेवानिवृत्त हुए। वर्ष 2014 में वह पिता की ही रेजिमेंट में भर्ती हुए। मोहित की मां हेमा गृहिणी हैं और बड़े भाई राकेश निजी स्कूल में शिक्षक हैं। मोहित के दादा भवानी नायब सूबेदार और परदादा कुलोमणि सेना से हवलदार सेवानिवृत्त हुए।

बागपत के सूर्य की बिखरी चमक
उत्तर प्रदेश के बागपत निवासी सूर्य तिवारी को दो पदक मिले हैं। वे परिवार के पहले सदस्य हैं, जो सेना में भर्ती हुए और अब अफसर बनेंगे। सूर्य ने बताया कि पिता बृजभूषण तिवारी किसान और मां अनुपमा गृहिणी हैं। बहन नेहा की शादी हो चुकी है।
गांव के एक स्कूल से 12वीं करने के बाद वे वर्ष 2016 में वायुसेना की तकनीकी कोर में भर्ती हुए। वहां से दूसरे प्रयास में सेना में अफसर बनने के लिए चयन हुआ। उन्हें चीफ आफ आर्मी स्टाफ रजत पदक और विज्ञान वर्ग में कमांडेंट सिल्वर मेडल मिला। उनका मानना है कि सेना नौकरी नहीं, बल्कि एक भावना है। इसमें अन्य नौकरी की तरह एकरूपता, नीरसता नहीं है। तभी उन्होंने सेना को चुना।
अजीत ने करीब से देखा आतंकवाद
जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सीमावर्ती गांव बखार के अजीत शर्मा भी सेना में परिवार के पहले अफसर होंगे। अजीत ने चीफ आफ आर्मी स्टाफ कांस्य पदक हासिल किया। अजीत ने बताया कि गांव के काफी लोग सेना में हैं। उनके परिवार से कोई अफसर नहीं था। जबकि, गांव और आसपास सेना की ज्यादा आवाजाही रहती है।
वे बचपन से सेना में भर्ती होना चाहते थे। उन्होंने आतंकवाद को करीब से देखा है। अजीत ने बताया कि सरकारी स्कूल से 12वीं के बाद उन्होंने स्नातक किया। स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा देने के बाद वह वर्ष 2017 में सेना की पंजाब रेजीमेंट में भर्ती हो गए थे। अजीत के पिता बाबूराम शर्मा फारेस्ट गार्ड हैं और मां चंपा देवी गृहिणी। बड़े भाई संजीव दुकान चलाते हैं।