पहली बार विदेशी राजनयिकों ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया की ली जानकारी

पहली बार विदेशी राजनयिकों के दल ने जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रक्रिया की जानकारी ली। अमेरिका, नॉर्वे और सिंगापुर सहित 15 देशों के राजनयिकों के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कश्मीर के बडगाम व श्रीनगर जिले में विधानसभा चुनावों का निरीक्षण किया। मतदान केंद्रों पर चुनाव प्रक्रिया को देखकर इसे अदभुत, स्वस्थ और लोकतांत्रिक बताया। उन्होंने मतदाताओं से बातचीत भी की।
अधिकारियों ने बताया कि राजनयिकों ने बडगाम जिले के ओमपोरा और लाल चौक निर्वाचन क्षेत्र के अमीरा कदल का दौरा किया। एसपी कॉलेज, चिनार बाग में गुलाबी मतदान केंद्र में गए। यहां महिला कर्मियों की ओर से बूथ के किए गए पूरे प्रबंधन को देख प्रभावित हुए। बडगाम के डीसी व जिला चुनाव अधिकारी अक्षय लाबरू ने मेहमानों को ओमपोरा मतदान केंद्र में मतदान प्रक्रिया की जानकारी दी।
प्रतिनिधिमंडल ने चुनावों के संचालन पर संतोष व्यक्त किया। कुछ राजनयिकों ने इसे अपने देशों के समान प्रक्रिया बताया। दिल्ली में अमेरिकी दूतावास के उप प्रमुख जॉर्गन के एंड्रयूज ने कहा, मतदान प्रक्रिया स्वस्थ और लोकतांत्रिक है। दस साल बाद हो रहे विधानसभा चुनाव में कश्मीरियों को उत्साहपूर्वक मतदान करते देख बहुत अच्छा लगा। अब हम परिणाम देखने के लिए उत्साहित हैं। यहां की प्रक्रिया उनके देश के समान है। हमारे देश में भी मतदान के लिए स्कूलों का उपयोग किया जाता है।
दक्षिण कोरिया के राजनयिक सांग वू लिम ने पिंक पोलिंग बूथ की पहल को पसंद किया। कहा, चुनाव आयोग का यह अच्छा कदम है। इन बूथों का प्रबंधन पूरी तरह से महिला कर्मचारियों की ओर से करना प्रशंसनीय है। मैं पहली बार कश्मीर आया हूं। प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनकर खुश हूं। मैं देख रहा हूं कि यह एक खूबसूरत जगह है। लोग बहुत अच्छे हैं। लोकतंत्र कैसे काम करता है, यह देखना खास है। पिंक बूथ लोगों को मतदान के लिए आकर्षित करता है।
दिल्ली में सिंगापुर के उप प्रमुख चेंग वेई वेई एलिस ने कहा, यहां की मतदान प्रक्रिया सिंगापुर के चुनाव प्रक्रिया से बहुत मिलती-जुलती है। हम भी मतदान के लिए सरकारी भवनों का उपयोग करते हैं ताकि मतदाताओं के लिए यह आसानी से सुलभ हो। कहा, इस यात्रा के आयोजन और मतदान केंद्रों पर जाने की अनुमति देने के लिए विदेश मंत्रालय के आभारी हैं। दक्षिण अफ्रीका की लारा स्वार्ट ने कहा कि पहली बार जम्मू-कश्मीर का दौरा कर रही हैं। यह अनुभव अद्भुत है। रवांडा के राजनियक ने कहा कि मतदान प्रक्रिया काफी अच्छी है।
पूरी प्रक्रिया के बारे में जानकारी दी गई जो सुनकर अच्छा लगा। नॉर्वे के राजनयिक के अनुसार यह अच्छा है। वह पहली बार श्रीनगर में हैं। विभिन्न राज्यों का दौरा कर लोगों से बात करना बहुत महत्वपूर्ण है। तंजानिया के डियो ने कहा कि उन्होंने पहले इस प्रकार की प्रक्रिया नहीं देखी है। पिंक बूथ की कल्पना अद्भुत है। यह और भी अच्छा है कि लोग अपने बच्चों के साथ मतदान केंद्र तक पहुंचे हैं ताकि वे भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के बारे में जानकारी हासिल कर सकें।
जम्मू-कश्मीर में शायद यह पहली बार है कि विदेशी पर्यवेक्षकों को मतदान प्रक्रिया देखने की अनुमति दी गई है। पिछली सरकारों ने चुनावों के दौरान जम्मू-कश्मीर में अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों को अनुमति देने के किसी भी सुझाव को खारिज कर दिया था। वहीं, विशेषज्ञ मानते हैं कि कश्मीर के बदलते हालातों में विदेशी राजनयिकों को यहां बुलाना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का अपना पक्ष और मजबूत करने का प्रयास है।
प्रतिनिधिमंडल में इन देशों के राजनयिक शामिल
प्रतिनिधिमंडल में दिल्ली स्थित अमेरिकी, मैक्सिको, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सोमालिया, पनामा, सिंगापुर, नाइजीरिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, तंजानिया, रवांडा, अल्जीरिया और फिलीपींस के दूतावासों के राजनयिक शामिल हैं।
विदेश राजनयिकों के दौरे पर भड़के उमर, बोले-उनके प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों की निगरानी के लिए विदेशी प्रतिनिधियों को आमंत्रित करने पर केंद्र सरकार के निर्णय की आलोचना की। कहा, यह चुनाव भारत का आंतरिक मामला है। इसलिए उनके प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है।
बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, मुझे नहीं पता कि विदेशियों को यहां चुनावों की जांच के लिए क्यों बुलाया जाना चाहिए। जब विदेशी सरकारें टिप्पणी करती हैं तो भारत सरकार कहती है कि जम्मू कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है, इसमें दखल नहीं देना चाहिए। ऐसे में इनको यहां लाया क्यों गया है। कहा, चुनाव में भागीदारी भारत सरकार की वजह से नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोगों को अपमानित किया गया। हिरासत में लेने और परेशान करने के लिए सरकार की सभी मशीनरी का इस्तेमाल किया गया है।
इसके बावजूद लोग चुनावों में भाग ले रहे हैं। इसका श्रेय लोगों को जाना चाहिए। लेकिन भारत सरकार कोशिश कर रही है कि इसका सारा श्रेय उनको मिले, जो यहां के लोगों के साथ धोखा है। अगर विदेशी प्रतिनिधियों को यहां लाया जा सकता है तो बाहरी पत्रकारों को भी यहां आने की इजाजत क्यों नहीं। किसी भी विदेशी पत्रकार को चुनाव कवरेज की इजाजत नहीं मिली है। लेकिन एक गाइडेड टूरिस्ट की तरह इन डिप्लोमेट्स को यहां चुनाव दिखाए जा रहे हैं। यह अच्छी बात नहीं है।