जनगणना के लिए सरकार ने कसी कमर, बजट में हो सकती है बड़ी घोषणा, 6 साल बाद अब दोगुनी राशि की जरूरत

 नई दिल्ली। 2021 की स्थगित जनगणना को कराने की प्रक्रिया की शुरुआत 2025 से हो सकती है। इसके लिए आगामी बजट में विशेष आवंटन किया जा सकता है। 2021 की जनगणना के लिए 2019 में ही 8,754 करोड़ रुपये और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए 3,931 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था।

छह साल बाद इसके लिए लगभग दोगुनी राशि की जरूरत पड़ेगी। जनगणना पूरी करने के लिए 33 लाख से अधिक जनगणना कर्मियों को प्रशिक्षित करने और उनके लिए डिजिटल उपकरण खरीदने की जरूरत पड़ेगी, ताकि वे जनगणना के आंकड़े को डिजिटल रूप में एकत्रित कर सकें।

पहले कोरोना, फिर चुनाव के कारण नहीं हो पाई थी जनगणना

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार पहले कोरोना और फिर 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए जनगणना स्थगित करनी पड़ी थी, लेकिन सरकार ने इसे अब कराने का फैसला कर लिया है। आगामी बजट में इसके लिए धन के आंवटन के साथ इसकी शुरूआत मानी जा सकती है।

33 लाख कर्मियों को दी जाएगी स्पेशल ट्रेनिंग

33 लाख जनगणना कर्मियों को प्रशिक्षत करने के लिए मास्टर ट्रेनर्स का प्रशिक्षण सितंबर या अक्टूबर के महीने में शुरू हो सकता है। इसके बाद राज्य और फिर जिले स्तर पर जनगणनाकर्मियों का प्रशिक्षण मार्च 2026 के पहले पूरा कर लिया जाएगा। सूत्रों के अनुसार एक अप्रैल 2026 से घरों, मवेशियों, गाडि़यों व अन्य साजो-सामान की गिनती की प्रक्रिया शुरू होगी, जो 30 सितंबर 2026 तक चलेगी।

अपग्रेड होगा एनपीआर का डाटा

घरों की गिनती के साथ ही एनपीआर के डाटा को भी अपग्रेड किया जाएगा। एनपीआर के तहत किसी गांव या मोहल्ले में रहने वाले व्यक्ति की सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक सभी तरह की जानकारी जुटाई जाती है। पहली बार एनपीआर 2010 में संप्रग सरकार के दौरान हुआ था, जिसे 2015 में अपडेट किया गया था। सूत्रों के अनुसार घरों की गिनती के बाद असली जनगणना सात फरवरी 2026 से 28 फरवरी 2026 तक चलेगी, जिसमें देश के भीतर रहने वाले सभी व्यक्तियों की गिनती की जाएगी।

मार्च 2026 में होगा जनगणना अपडेट करने का काम

इस बीच पैदा हुए नवजातों की गिनती कर जनगणना का अपडेट करने का काम एक से पांच मार्च 2026 के बीच किया जाएगा। चूंकि जनगणना पूरी तरह से डिजिटल होगी, इसीलिए एक महीने के भीतर इसकी रिपोर्ट उपलब्ध हो सकती है, जिसका इस्तेमाल सरकार नई नीतियां बनाने और पुरानी नीतियों को नई जनगणना के अनुरूप दुरूस्त करने में कर सकती है।

जनगणना पोर्टल पर खुद भी दे सकेंगे जानकारी

डिजिटल जनगणना में आम लोगों को भी खुद जनगणना पोर्टल पर अपनी जानकारी उपलब्ध कराने का विकल्प दे सकती है। जनगणना कर्मी को सिर्फ इसकी पुष्टि करने की जिम्मेदारी होगी। जनगणना के सटीक आंकड़े जुटाने के लिए इस बार जियो फेंसिंग की व्यवस्था की गई है।

सेंट्रल पोर्टल में सुरक्षित रहेगा पूरा आंकड़ा

इससे जनगणना के लिए दिये गए डिजिटल उपकरण में तभी आंकड़े भरे जा सकेंगे, जब जनगणना कर्मी उस इलाके में खुद मौजूद होगा। एक बार डाटा भरने के बाद आंकड़ा एक केंद्रीय पोर्टल में सुरक्षित हो जाएगा। जाहिर है केंद्रीय पोर्टल के माध्यम से पूरे देश में जनगणना की प्रक्रिया की निगरानी भी हो सकेगी।

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