शिव मंदिरों में उमड़ा आस्था का सैलाब, मनकामेश्वर की भव्य आरती ने मन मोहा
भगवान भोलेनाथ को समर्पित श्रावण मास की शुरुआत आज से हो गई। सावन के पहले सोमवार पर लखनऊ सहित प्रदेश के सभी प्रमुख मंदिरों में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। भक्त बड़ी संख्या में सुबह चार बजे से ही मंदिरों में दर्शन के लिए लाइन में लग गए।
लखनऊ के प्रसिद्घ मंदिरों में सुबह की आरती के लिए एक दिन पहले ही तैयारियां कर ली गई थीं।
शहर के महाकाल मंदिर में बाबा भोलेनाथ का भव्य श्रृंगार किया गया और मनकामेश्वर मंदिर में सुबह चार बजे आरती की गई।
मंदिरों में हर हर महादेव के गूंज होती रही। श्रद्घालु बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए कतारों में लगे हुए हैं।
महाकाल मंदिर में रात 12:00 बजे सावन मास के प्रथम सोमवार पर बाबा का रुद्राभिषेक हुआ। इसके बाद श्रृंगार किया गया और फिर प्रात: 4 बजे बाबा की भस्म आरती की गई।
मंदिरों में पूजा-पाठ की तैयारियां एक दिन पहले ही पूरी कर ली गई थीं। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ेंगे।
वैदिक ज्योतिष शोध परिषद के अध्यक्ष महामहोपाध्याय डॉ. आदित्य पांडेय, ज्योतिषाचार्य पंडित धीरेंद्र पांडेय व ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल का कहना है कि शिव महापुराण के अनुसार, श्रावण मास का हर दिन भगवान शिव के पूजन के लिए शुभ है। सामान्यत: रुद्राभिषेक करने के लिए शिववास देखने की आवश्यकता होती है, लेकिन श्रावण मास में ये बंधन लागू नहीं होता है। इस महीने के किसी भी दिन और किसी भी समय बिना तिथि व मुहूर्त देखे रुद्राभिषेक कर सकते हैं।
सीतापुर: शिवालयों में उमड़ी भीड़, लगी श्रद्धालुओं की कतारें
श्रावण मास के पहले सोमवार पर मन्दिरो में आस्था का सैलाब उमड़ा। सुबह से ही शिवालयों में भक्त पहुंचने लगे। वहीं, बोल बम के जयकारों के साथ शिवालय गुंजायमान होने लगे। शहर के श्यामनाथ मन्दिर, नर्मदेश्वर बाबा संग सभी शिवालयों में श्रद्धालु लंबी-लंबी कतारों में खड़े होकर महादेव के पूजन अर्चन के लिए लालायित दिखे।
सावन के पहले सोमवार के दिन मंदिरों में भोलेनाथ की विशेष पूजा की जा रही है। भक्तों की खासा भीड़ उमड़ी रही है। लहरपुर में भी सावन के प्रथम सोमवार को क्षेत्र के विभिन्न शिव मंदिरों एवं प्रसिद्ध बाबा जंगली नाथ मंदिर पर श्रद्धालुओं का उमड़ी भारी भीड़। भारी पुलिस बल तैनात रहा।
बाराबंकी: महादेवा में उमड़ा शिव भक्तों का सैलाब, आधी रात से चल रहा जलाभिषेक
सावन मास के पहले सोमवार के मौके पर जिले के पौराणिक तीर्थ स्थल श्री लोधेश्वर महादेवा तीर्थ में शिव भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। रविवार की शाम से भगवान लोधेश्वर को जलाभिषेक और अन्य द्रव्य अर्पित करने के लिए करीब दो किलोमीटर लंबी कतार लग गई। रात 12:00 बजे ही महादेवा के कपाट खोल दिए गए जिसके बाद शिव भक्त लगातार जलाभिषेक कर रहे हैं।
अमेठी: सावन के पहले दिन हर-हर महादेव के जयकारों से गूंजे शिवालय
सावन मास के पहले दिन क्षेत्र स्थित शिवालय हर-हर महादेव के जयकारों से गूंज उठे। भोर से ही भगवान भोलेनाथ को जलाभिषेक के लिए भक्तो की लंबी कतार लगी दिखाई पड़ी। सावन मास में भगवान भोलेनाथ की आराधना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। पूरे माह शिव भक्त प्रसिद्ध शिवालयों में पहुंच कर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करते हैं।
कांवरियों का जत्था दिन-रात पैदल यात्रा कर भगवान भोलेनाथ के जलाभिषेक के लिए चलता रहता है। सावन के पहले दिन क्षेत्र की ग्राम पंचायत ताला स्थित मुकुट नाथ धाम, जगेश्वरन धाम, देवीपाटन स्थित शिव धाम, दुखहरण नाथ धाम, महादेवन सहित विभिन्न शिवालयों में भक्तों ने जलाभिषेक कर भगवान भोले नाथ का पूजन अर्चन किया। जलाभिषेक के लिए भोर से ही मंदिरों पर भक्तों की कतार मंदिरों में लगी दिखाई पड़ी। वही शिव भक्तों ने घरों और शिवालयों पर रुद्राभिषेक कर भगवान शिव का पूजन अर्चन किया।
अयोध्या: सावन के पहले सोमवार पर शिवमय हुई रामनगरी
सावन और सोमवार के पुण्य योग से अभिभूत रामनगरी तड़के ही भोले के भक्तों से बम-बम हो उठी। दिन चढ़ने के साथ भोले के भक्तों की आस्था चटख होती गई। शुरुआत सरयू तट से हुई। पौ फटने से पहले शिवभक्तों का जत्था पुण्यसलिला की ओर उन्मुख हुआ। संत तुलसीदास घाट, लक्ष्मण घाट सहित कई अन्य घाटों पर सरयू स्नान का सिलसिला पूर्वाह्न तक चला और सरयू स्नान के बाद श्रद्धालुओं का जत्था पौराणिक महत्व की पीठ नागेश्वरनाथ की ओर बढ़ा। श्रद्धालुओं का गहन प्रवाह प्रशासनिक अधिकारियों एवं पुलिस के जवानों की घंटों परीक्षा लेता रहा। भोर के कुछ घंटों तक बाबा के दरबार में रह-रह कर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा था। भीड़ के दबाव का सामना करते भक्त किसी तरह बाबा के सम्मुख पहुंच कर दूध अथवा सरयू जल से अभिषेक कर रहे थे। अगले पल उन्हें निकास द्वार की ओर बढ़ने को विवश होना पड़ रहा था।
अयोध्या: सावन के पहले सोमवार पर शिवमय हुई रामनगरी
आसपास के जिलों के श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में यदि नागेश्वरनाथ मंदिर था, तो एक अन्य पौराणिक पीठ क्षीरेश्वरनाथ स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में था। यहां भी तड़के से भक्तों का तांता लगा। दिन चढ़ते ही अभिषेक का सिलसिला थमा और बाबा को भांति-भांति के फूलों एवं पुष्पलड़ियों से सज्जित किया गया। इसी के साथ ही बाबा की शोभा शिरोधार्य करने के लिए भक्तों की नई पांत उमड़ी। गुप्तारघाट स्थित पंचमुखी मंदिर पर भी तड़के से अभिषेक करने वालों का तांता लगा। बाबा की नयनाभिराम झांकी सजी। नाका हनुमानगढ़ी परिसर स्थित भास्करनाथ महादेव मंदिर पर भी भक्तों का तांता लगा रहा। भक्तों ने शिवजी को बेलपत्र, सरयू जल और दूध आदि अर्पित किया।
आसपास के जिलों के श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में यदि नागेश्वरनाथ मंदिर था, तो एक अन्य पौराणिक पीठ क्षीरेश्वरनाथ स्थानीय श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र में था। यहां भी तड़के से भक्तों का तांता लगा। दिन चढ़ते ही अभिषेक का सिलसिला थमा और बाबा को भांति-भांति के फूलों एवं पुष्पलड़ियों से सज्जित किया गया। इसी के साथ ही बाबा की शोभा शिरोधार्य करने के लिए भक्तों की नई पांत उमड़ी। गुप्तारघाट स्थित पंचमुखी मंदिर पर भी तड़के से अभिषेक करने वालों का तांता लगा। बाबा की नयनाभिराम झांकी सजी। नाका हनुमानगढ़ी परिसर स्थित भास्करनाथ महादेव मंदिर पर भी भक्तों का तांता लगा रहा। भक्तों ने शिवजी को बेलपत्र, सरयू जल और दूध आदि अर्पित किया।