आतिशी का अग्निपथ: सीएम की राह में पांच बड़े अंगारे, तीसरे से सबको बहुत उम्मीद

दिल्ली की नई सरकार का गठन होने के साथ मुख्यमंत्री आतिशी को चुनौतियों के अग्निपथ पर चलना पड़ेगा। चुनावों से करीब चार महीने पहले बनी नई सरकार की परख का पैमाना फरवरी 2025 में प्रस्तावित दिल्ली चुनाव का प्रदर्शन होगा। सत्ता पक्ष के साथ विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि रास्ता बहुत कठिन है। आतिशी को सरकार के साथ आम आदमी पार्टी की साख भी मजबूत करनी पड़ेगी। इसमें उनकी सरकार के शुरुआती फैसले बेहद अहम होंगे। वहीं, संगठन के साथ तालमेल भी सरकार को बिठाना पड़ेगा।

आतिशी के सामने खड़ा पांच कामों का पहाड़
1. दिल्ली सरकार की छवि सुधारना
आतिशी के लिए सबसे बड़ी चुनौती दिल्ली सरकार की छवि सुधारना होगा। अपनी पूर्ववर्ती सरकार के मुख्यमंत्री सहित बड़े मंत्री कानूनी पचड़े में फंसे हैं। कथित आबकारी नीति घोटाले में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह समेत पार्टी के कई नेता जमानत पर हैं। आप इस वक्त भी कानूनी लड़ाई में उलझी है। आतिशी का नाम कथित घोटाले में नहीं है, लेकिन इसकी जांच नई सरकार और फैसले लेने की क्षमता को प्रभावित कर सकते हैं। आतिशी को इन सभी से बचते हुए दिल्ली के विकास के लिए बड़े फैसले लेने होंगे।

2. आप की साख को वापस लौटाना
2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की प्रचंड जीत में महिलाओं की अहम भूमिका रही थी। मुख्यमंत्री आतिशी के लिए दिल्ली की महिलाओं का विश्वास जीतना बड़ी चुनौती रहेगी। इस मामले में उनका महिला होना फायदेमंद हो सकता है। इससे महिलाओं को अपने साथ लामबंद करने में सहूलियत रहेगी। हालांकि, आप की बागी सांसद स्वाति मालीवाल के प्रकरण से आम आदमी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है। वहीं, कथित आबकारी घोटाले की नाराजगी भी महिलाओं में ज्यादा है।

3. चुनावी वादों को पूरा करना  
आतिशी के लिए चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी के तरफ से किए गए वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती रहेगी। लोकसभा चुनाव से पहले आप ने महिला सम्मान की घोषणा की थी। इसके तहत दिल्ली की हर महिला को प्रति माह एक हजार रुपये की आर्थिक मदद देनी है। इस योजना के लिए बजट में दो हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। इसे लागू करवाने के साथ हर महिला तक पहुंचाना एक बड़ा काम होगा।

4. उपराज्यपाल के साथ विवाद को कम करना

आप हमेशा यह आरोप लगाती रही है कि दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली सरकार के काम में बाधा बन रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में दिल्ली में काम करना आतिशी के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। खासतौर से इसलिए भी कि इस वक्त उपराज्यपाल और नौकरशाही के साथ पुरानी सरकार के ताल्लुकात बेहद खराब थे। यहां तक कि अधिकारियों ने अपनी सरकार के खिलाफ खुले तौर पर बयानवाजी तक की है। तत्कालीन मंत्रियों ने भी कई मौकों पर अधिकारियों पर हमला बोला है।

5. सार्वजनिक सेवा और इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारना
दिल्ली में खराब होती सार्वजनिक सेवा और इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत को सुधारना मुख्यमंत्री के लिए चुनौती बनेगा। दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना लगातार क्षेत्र का दौरा कर सवाल उठा रहे हैं। वह सड़क, सफाई समेत उन दूसरे कामों पर हमलावर हैं, जिन्हें पूरी तरह से सरकार के अधिकार क्षेत्र में माना जाता है। आतिशी को अगले चार माह में दिल्ली के विकास के लिए युद्ध स्तर पर काम करना होगा।

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