120000 साल से ‘आग’ उगल रहा है गुमनाम शहर, पृथ्वी के इतिहास सहित कई रहस्य खुलने की उम्मीद
किसी पुराने शहर या जगह की तलाश में इंसान कहां कहां नहीं गया. आज की तारीख में इंसानों ने धरती का तो कोना कोना खंगाल ही लिया, लेकिन अब भी महासागरों के संसार में बहुत से इलाके हैं जो अनजान हैं और रहस्यों से भरे हैं. कुछ तो रोचक जगहें भी हैं जिनके पड़ताल की जा रही है. ऐसा ही एक अनोखा शहर है जो वैसे तो 25 साल पहले खोजा जा चुका है, जिसमें 1.2 लाख साल पहले “आग” की तरह बहुत ही गर्म चीजें निकल रही हैं. उसकी पड़ताल जारी है. वैज्ञानिकों ने इस लॉस्ट सिटी के नाम से मशहूर जगह से डेढ़ किलोमीटर लंबा एक हिस्सा निकाला है जो जीवन के रहस्य को उजागर करने में उनकी मदद कर सकता है और इसका कनेक्शन सौरमंडल के बड़े ग्रहों के चंद्रमाओं से भी है.
कहां है ये गुमनाम शहर?
25 साल पहले वैज्ञानिकों ने अटलांटिक महासागर के बीचों बीच चोटियों के 15 किलोमीटर पश्चिम में एटलांटिस मैसिफ की शीर्ष के पास समुद्री की सतह के 2300 फुट नीचे बहुत ही पुराना हाइड्रोथर्मल वेंट सिस्टम खोजा था, जिसके सैकड़ों टावरों से आग की तरह गर्म अल्कलाइन द्रव्य और हाइड्रोजन गैसे निकल रही थी.
कितना गर्म रहता है इलाका?
उन्होंने इस पूरे इलाके को लॉस्ट सिटी नाम दिया. यहां 1.2 लाख सालों से पृथ्वी के मेंटल की यहां समुद्री पानी से प्रतिक्रिया होती रही जिससे महासागर में हाइड्रोजन और मीथेन गैस के साथ कुछ द्रव्यों का भी रिसाव होता रहा. इनका तापमान करीब 90 डिग्री सेल्सियस तक रहता था. महासागर के इतने गहरे पानी में इतनी गर्मी हैरानी की बात है.
वैश्विक धरोहर बनाने की बात
कन्वेंशन ऑफ बायोलॉजिकल डाइवर्सिटी ने इसकी पहचान की जो पारिस्थितिकी और जैविक तौर पर बहुत ही खास समुद्री इलाका था. यह तक सुझाव दिया गया कि जगह को विश्व धरोहर स्थल घोषित कर देना चाहिए. पिछले साल यहां 1268 मीटर लंबी एक मेंटल चट्टान खोजी गई जिसके बारे में माना जा रहा है कि जीवनके शुरुआत के सबूत छिपे हो सकते हैं.
किस तरह का जीवन?
लॉस्ट सिटी की चिमनियों में सूक्ष्म जीवन है, 2020 के एक रिसर्च पेपर में बताया गया है कि यहां सर्पेन्टिनाइजेशन और उससे जुड़ी भू-रासायनिक प्रतिक्रियाओं से बनने वाली हाइड्रोजन गैस और जैविक अणुओं यहां के जीवन को ताकत मिलती है. यहां छोट बिनारीढ़ के जीव, क्रस्टेशियन्स, गैस्ट्रोपॉड घोंघे और अन्य कीड़े देखे गए हैं.
इसके अलावा एक वजह और है जिससे इस खोये हुए शहर को अहमियत दी जा रही है. 2018 में माइक्रोबायोलॉजिस्ट विलियम ब्रेज़लटन ने बताया कि इस तरह के इकोसिस्टम वैसे ही हैं जैसे की शनि के चंद्रमा एन्सेलेडस या बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा की बर्फीली सतह के अंदर के महासागरों में हो सकते हैं. ऐसा ही कुछ शायद अतीत में मगंल ग्रह पर भी रहा होगा.