पिता की हुई हत्या हुई और मां को कैंसर था, फिर भी बेटी बनी IAS अफसर


उनकी मां विभा सिंह इंसाफ के लिए अकेली लड़ती रहीं। किंजल के परिवार का यह संघर्ष पूरे 31 साल तक चलता रहा। यह जद्दोजहद 5 जून, 2013 को उस समय जाकर खत्म हुई, जब लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत ने अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने केपी सिंह की हत्या के आरोप में 18 पुलिसवालों को दोषी ठहराया। फैसले के वक्त तक किंजल बहराइच की डीएम बन चुकी थीं।
किंजल के पिता डीएसपी केपी सिंह आईएएस बनना चाहते थे और उनकी हत्या के कुछ दिन बाद आए परिणाम में पता चला कि उन्होंने आईएएस मुख्य परीक्षा पास कर ली थी। किंजल बताती हैं, ‘जब मां कहती थीं कि वो अपनी दोनो बेटियों को आईएएस अफसर बनाएंगी तो लोग उन पर हंसते थे।’
किंजल बताती हैं, ‘एक दिन डॉक्टर ने मुझसे कहा, क्या तुमने कभी अपनी मां से पूछा है कि वो किस तकलीफ से गुजर रही हैं? जैसे ही मुझे इस बात का एहसास हुआ, मैंने ठान लिया कि पापा को इंसाफ दिलवाऊंगी।’ इन सबके बीच बीमारी से लड़ते हुए 2004 में उनकी मां की मौत हो गई।
जिस साल उनकी मौत हुई उसी साल किंजल ने दिल्ली यूनिवर्सिटी टॉप किया। इस बीच किंजल ने अपनी छोटी बहन को भी दिल्ली बुला लिया। दोनों बहनें आईएएस की तैयारी में लग गईं। किंजल बताती हैं, ‘हम दोनों दुनिया में अकेले रह गए। हम नहीं चाहते थे कि किसी को भी पता चले कि हम दुनिया में अकेले हैं।’
2008 में दूसरी कोशिश में किंजल का चयन आईएएस के लिए हो गया। उसी साल प्रांजल भी आईआरएस के लिए चुन ली गईं। आज किंजल सिंह जिस मुकाम पर हैं उसके पीछे वो अपने मौसा-मौसी और प्रांजल का धन्यवाद देना नहीं भूलती।