किसान आन्दोलन: संघर्ष में हिम्मत न हारें अन्नदाता, इसलिए जम्मू-कश्मीर से आए किसान

संघर्ष में हिम्मत न हार जाएं पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर बैठे अन्नदाता, इसलिए जम्मू-कश्मीर से किसान भी समर्थन देने आ गए हैं। हजारों किसान पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर 23 फसलों पर एमएसपी गारंटी देने के लिए 138 दिनों से डटे हुए हैं। इन किसानों की सहायता के लिए राजस्थान, हरियाणा, उतर प्रदेश, हिमाचल सहित कई प्रदेशों से लोग सामने आ चुके हैं और उन्हें समर्थन देने का वायदा भी कर चुके हैं, लेकिन अब किसानों के संघर्ष में जम्मू-कश्मीर के मुस्लिम किसान जो सेब और लक्कड़ की खेती करते हैं, वे भी समर्थन देने शनिवार को शंभू बॉर्डर पर पहुंचे और उन्हें हर प्रकार का सहयोग देने का आश्वासन दिया।

कश्मीर के शोफिया से जिलाध्यक्ष मोहम्मद युसुफ काजी ने बताया कि कश्मीर के बगानों में वह अपनी मेहनत की कमाई लगाकर सेबों व लक्कड़ की खेती कर रहे हैं और सेबों की मिठास पूरे देश में बांटते हैं। उन्होंने कहा कि जो समस्या पंजाब-हरियाणा के किसानों को आ रही है, उससे हम भी जूझ रहे हैं। केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में धारा-370 हटा चुकी है और पूंजीपतियों को कश्मीर में प्रवेश दिलवाकर हमारी जमीनों पर कब्जा करवाना चाहती है।

इसमें हमारे प्रदेश के कुछ लोग भी उन्हें चोर रास्ते से प्रवेश दिलवाना चाहते हैं जिसे हम बर्दाश्त नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि पूरे देश के हमारे किसान भाइयों को हमारी जरूरत है तो हम कैसे उनका साथ छोड़ सकते हैं। इसलिए हम लोग उनके समर्थन में इतनी दूर से आए हैं।

हर प्रदेश के किसानों को समस्या
कश्मीरी मुस्लिम किसान नजीर अहमद लोन ने बताया कि पंजाब का किसान पूरे देश के किसानों की लड़ाई लड़ रहा है। हर प्रदेश के किसानों की कोई न कोई समस्या है जिसका हल भी देश भर के किसान इकट्ठे होकर निकाल सकते हैं और सत्ता पर काबिज देश की गूंगी-बहरी सरकार के कान खोलकर उन्हें जगाने का काम कर सकते हैं। वरना पूरे देश के संसाधन व जमीनों पर पूंजीपतियों का कब्जा होने में देर नहीं लगेगी। शंभू बाॅर्डर पर मौजूद गुरदासपुर व होशियारपुर के किसानों ने बताया कि हम भी पूंजीपतियों जो किसानों की जमीनों पर कब्जा कर उन्हें अर्थिक तौर पर कमजोर करना चाहते हैं, उनके खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। हमारी लड़ाई फसल और नस्ल को बचाने की लड़ाई है।

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