Exclusive: सलमान खान बोले – ”नहीं भूलता मैं दूसरों की गलतियां”
53 साल के हो चुके सलमान खान पिछले 31 साल से हिंदी सिनेमा में काम कर रहे हैं। फिल्म निर्माता बनकर वह नए चेहरों को बड़े परदे पर मौका दे रहे हैं। बीईंग ह्यूमन नाम के एनजीओ के जरिए वह जरूरतमंदों की मदद करते हैं। हर सुबह बांद्रा में उनके घर के सामने मदद मांगने वालों का मेला लगता है। सलमान की अगली फिल्म भारत ईद पर रिलीज हो रही है। अमर उजाला संवाददाता की सलमान से एक खास मुलाकात।
एक था टाइगर और बजरंगी भाईजान में निभाए गए किरदारों से कितना अलग है फिल्म भारत में आपका किरदार?
किरदार क्या यह फिल्म ही अलग है। इनमें सिर्फ एक ही चीज़ समान है और वह है हीरो। हमारे यहां बाहर की फिल्मों की तरह नहीं होता है। सुपरमैन और स्पाइडरमैन जैसी फिल्मों में कलाकार बदल जाते हैं, निर्देशक बदल जाते हैं, फिल्म बनाने का तरीका बदल जाता है, लेकिन कहानी वही की वही रहती है। हमारे यहां अलग है। इस फिल्म में एक सफर दिखाया गया है। हिंदी फिल्मे अक्सर छोटे से समय को दर्शाती हैं पर इस फिल्म में काफी लंबा समय दिखाया गया है। एक किरदार का नौ साल की उम्र से 70 साल की उम्र तक का सफर है। इस किरदार में बहुत धैर्य है। वह इंतज़ार कर रहा है क्योंकि उसके पिता ने कहा था कि वह वापस ज़रूर आएंगे।
सलमान खान के करोड़ों चाहने वालों को फिल्म भारत में क्या नया देखने को मिलेगा ?
पहला तो मेरा लुक जो मेरे फैंस ने नहीं देखा है। वह जो हमारी उम्र के हैं उन्होंने देखा है, जैसा फिल्म मैने प्यार किया में था, बागी में था। वह लुक जो मेरी शुरूआती फिल्मों था वही लुक वापस लाने की कोशिश की है हमने। अभी का जो लुक है वह तो है ही। उसके बाद एक आने वाले कल का लुक भी देने की कोशिश की है जिसमे मैं एक बूढ़े के किरदार में हूं। यह छह दशकों की कहानी है।
निर्देशक अक्सर कहते हैं कि बड़े स्टार्स फिल्म बनाने में हस्तक्षेप करते हैं, क्या आप भी ऐसा करते हैं?
हां मैं करता हूं ऐसा। जब भी मुझे लगता है कि कुछ गलत हो रहा है मैं वापस आकर बैठ जाता हूं क्योंकि कुछ भी होगा नाम तो मेरा ही जुड़ा है। फिर उनसे मैं विचार विमर्श करता हूं और उन्हें समझाता हूं कि हम गलत जा रहे हैं। इसे हस्तक्षेप करना नहीं कहते, इसे समझाना कहते हैं, दिशा देना कहते हैं। हां, अगर मेरी कोई गलती है तो सिर्फ मुझ पर ही इल्जाम लगेगा। लेकिन, किसी और की गलती है तो मैं उससे बैर कर लेता हूं। मेरे जेहन में वह बात हमेशा के लिए बस जाती है। मैं दूसरों की गलतियां भूलता नहीं हूं।
आपकी और फिल्म भारत के निर्देशक अली अब्बास जफर की कितनी जमती है, फिल्म एक था टाइगर को कबीर खान ने निर्देशित किया लेकिन इसकी सीक्वेल टाइगर जिंदा है में वह आ गए, यह विचार किसका था?
मेरी और अली अब्बास जफर की खूब जमती है। कबीर खान उन दिनों यशराज फिल्म्स के लिए काम किया करते थे। फिर उन्होंने अपना अलग काम शुरू कर दिया। टाइगर की कहानी यशराज फिल्म्स की है, जब अली ने इसकी स्क्रिप्ट में दिलचस्पी जताई तो मुझे भी ये ठीक लगा और इस तरह टाइगर की सीक्वेल बनी।
दबंग सीरीज ने आपकी जिंदगी पर कितनी छाप छोड़ी है?
सफल फिल्में आपकी ज़िंदगी पर काफी बड़ी छाप छोड़ जाती हैं, वहीं कई असफल फिल्मों का भी ज़िंदगी पर बड़ा असर पड़ता है। पर जब बहुत ज्यादा सफलता मिल जाती है तो कभी कभी कलाकार का दिमाग खराब भी हो जाता है। कलाकार को सफलता के साथ जमीन से भी जुड़ा रहना चाहिए तभी उस पर सफलता का सकारात्मक असर पड़ता है। सफलता के साथ असफलता को भी ध्यान में रखना चाहिए नहीं तो आप सठिया जाते हैं। आपका हर तरह का काम अपनी निजी और व्यावसायिक ज़िंदगी दोनों पर असर करता है। सफलता का सही उपयोग करना चाहिए, तभी आप अपनी ज़िंदगी में खुश और अपने परिवार को खुश रख पाएंगे।