AI से टूटी समय की बंदिशें: घंटों की जांच रिपोर्ट मिनटों में…

कृत्रिम बुद्धिमत्ता इस वक्त कई स्तरों पर डॉक्टरों की उलझनों को सुलझा रहा है। इस तकनीक से रोग की तह तक जाने में लगने वाला समय काफी कम हो गया है। साथ ही दूरदराज के मरीजों को चिकित्सीय परामर्श देने में भी सहूलियत मिली है। इस दौरान जटिल रोगों की समय पर पहचान कर पाना मुमकिन हुआ है।

मसलन, एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग में इलाज करवाने आए 28 साल के युवक की पैथोलॉजी व रेडियोलॉजी रिपोर्ट का मूल्यांकन कर कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) उपकरण ने ब्रेन ट्यूमर की पहचान मिनटों में कर दी। इसकी मदद से युवक का इलाज भी जल्द शुरू हो गया, जबकि इस तरह की रोग की पहचान सामान्य तरीके से करने पर विशेषज्ञों को घंटों समय लगता था।

वहीं, नार्थ-ईस्ट के छोटे से गांव में सर्वाइकल कैंसर के शुरुआती लक्षणों से जूझ रही 27 साल की महिला की पहचान उसके गांव में ही हो गई। उक्त गांव की आशा वर्कर ने महिला को हुई परेशानी के बाद एक फोटो खींचकर पोटेबल पल्पोस्कोप पर अपलोड किया। यह फोटो एम्स, दिल्ली के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के डॉक्टरों ने देखी और मूल्यांकन कर मरीज को सलाह दी।

एआई लाखों रिपोर्ट के आधार पर तैयार करता है एल्गोरिथम
विशेषज्ञों के अनुसार एआई लाखों रिपोर्ट के आधार पर एक एल्गोरिथम तैयार करता है। उसी के आधार पर वह रिपोर्ट का मूल्यांकन कर अपना सुझाव देता है। डॉक्टर अपने अनुभव व कौशल के आधार पर उस एआई आधारित रिपोर्ट को समझ सकते हैं। यदि डॉक्टर को लगता है कि रिपोर्ट में कुछ और सुधार की जरूरत है तो वह अपना सुझाव व रिपोर्ट का डाटा एआई उपकरण के लिए उपलब्ध करवाता है। इसके आधार पर एआई उपकरण को अपग्रेड किया जा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि एआई उपकरण डॉक्टरों का समय बचा रहा है। इससे बड़ी संख्या में उन लोगों को भी चिकित्सक परामर्श मिल पाया जो पहले इंतजार की श्रेणी में थे।

मस्तिष्क विकार की पहचान होगी आसान
एम्स के न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी का कहना है कि एआई आधारित उपकरण मस्तिष्क विकार के पहचान को आसान व जल्द कर सकते हैं। इनके पहचान के लिए उपकरण को हजारों रिपोर्ट का डाटा दिया गया है। इन सभी रिपोर्ट के आधार पर एक आधार बनाया गया। इसी आधार पर एआई उपकरण मूल्यांकन करके डॉक्टर की मदद कर रहा है। हालांकि यदि डॉक्टर को लगता है कि रिपोर्ट गलत लग रही है तो वह खुद अपने कौशल के आधार पर भी जांच कर सकता है।

घटेगा अस्पतालों पर बोझ सुविधा होगी बेहतर
एम्स के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. नीरजा भाटला का कहना है कि एआई की मदद से बड़े अस्पतालों में डॉक्टरों पर मरीजों का बोझ घटेगा। साथ ही डॉक्टरों की सेवा की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। डॉक्टरों की मदद के लिए पोटेबल पल्पोस्कोप को अपग्रेड किया जा रहा है। अब यह एआई आधारित होगा। इसमें सर्वाइकल कैंसर के लक्षण की फोटो अपलोड करते ही लक्षणों का मूल्यांकन हो जाएगा।

यह स्वास्थ्य कर्मी को तुरंत सूचना भी देगा कि मरीज किस स्तर पर रोगी है और उसे किस अस्पताल में भेजना है। ऐसा होने पर सामान्य लक्षणों के मरीजों को दिल्ली जैसे बड़े शहरों का रुख नहीं करना होगा। उन्हें छोटे अस्पताल में ही उचित इलाज मिल जाएगा। इसके अलावा ओवरी कैंसर को लेकर भी काम चल रहा है। यह दोनों महिलाओं में होने वाले बड़े कैंसर हैं जिससे हर साल हजारों महिलाएं दम तोड़ देती हैं। एआई इनकी पहचान को आसान करेगा और इनकी जान बचाई जा सकेगी।

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