ट्रंप का हर एक्शन दुनिया पर भारी, टैरिफ से लेकर अप्रवासियों का मुद्दा हावी
अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कार्यभार संभाल लिया है। ट्रंप ने पहले दिन ही जिस तरह धड़ाधड़ फैसले लिए हैं, उससे साफ हो गया है कि उनका काम करने का तरीका किसी भी आम राष्ट्राध्यक्ष से अलग है।
ट्रंप के एक्शन से वैश्विक परिदृश्य में होंगे बड़े बदलाव
ट्रंप अपने चुनावी वादों को लागू करने में जुट गए हैं। उनका सबसे प्रमुख वादा है अमेरिका को फिर से महान बनाना। अगर ट्रंप पूरे दमखम से इस वादे को पूरा करने का प्रयास करते हैं तो यह तय है कि वैश्विक परिदृश्य में बड़े बदलाव होंगे। यह बदलाव आर्थिक, रक्षा के साथ कूटनीतिक रिश्तों को भी नए सिरे से परिभाषित करेंगे।
अमेरिका के प्रमुख रणनीतिक सहयोगी और उभरती वैश्विक ताकत के तौर पर भारत को भी इस बदलाव से गुजरना होगा।
इसलिए है अमेरिका का दबदबा
आर्थिक प्रतिबंध: अमेरिका का ब्रह्मास्त्र
किसी देश की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने के लिए उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगाना सबसे आसान रास्ता है। अमेरिका समय-समय पर इस ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल करता आया है। यूं तो आर्थिक प्रतिबंध कोई भी देश किसी भी देश पर लगा सकता है। लेकिन अमेरिका के लगाए आर्थिक प्रतिबंधों का असर ज्यादा होता है।
भारत पर भी इसका असर दिख सकता है।
डालर में कारोबार करने पर रोक
अमेरिका चाहे तो किसी भी देश को डालर में कारोबार करने से भी रोक सकता है। इसका असर सिर्फ उस देश पर ही नहीं, बल्कि उसके साथ कारोबार करने वाले देशों पर भी पड़ता है क्योंकि प्रतिबंध वाले देश के साथ डालर में कारोबार करने पर अमेरिका कारोबार करने वाले दूसरे देश पर जुर्माना लगा सकता है। सवाल उठता है कि अमेरिका के प्रतिबंधों को बाकी के देश क्यों मानते हैं? इसका जवाब है कि दुनिया के ज्यादातर देश अमेरिका पर किसी न किसी तरह से निर्भर हैं।
विश्व में डालर का ताकत
दुनिया में 40% कर्ज डालर में दिए जाते हैं। इसलिए ‘विदेशी बैंकों को है डालर की जरूरत।
विश्व के केंद्रीय बैंकों के विदेशी मुद्रा भंडार में 59% राशि अमेरिकी डालर है।
दुनिया भर में जो कारोबार होता है। उसका 90% अमेरिकी डालर में होता है।
स्विफ्ट प्रतिबंध
अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक, इस समय दुनिया के 23 देशों पर अमेरिका ने आर्थिक प्रतिबंध लगा रखे हैं।
सबसे ताकतवर आर्थिक प्रतिबंधों में से एक है, स्विफ्ट प्रतिबंध स्विफ्ट यानी सोसाइटी फार वर्ल्डवाइड इंटरबैंक फाइनेंशियल टेलीकम्युनिकेशन एक मैसेजिंग नेटवर्क है, जो बैंकों को एक खास तरह के कोड फार्म में मैसेज देता है।
इससे इंटरनेशनल ट्रांजैक्शन में होने वाली त्रुटि काफी कम हो जाती है। 200 देशों में 11 हजार से ज्यादा संस्थाएं इसका इस्तेमाल करती हैं। विदेशी बैंक इसी के जरिये अपना कारोबार करते हैं।
अवैध प्रवासियों पर एक्शन, भारत भी जद में…
अमेरिका में अवैध प्रवासियों का मुद्दा भी गर्म है। ट्रंप सरकार ने इन लोगों को देश से बाहर निकालने के लिए कमर कस ली है। ट्रंप प्रशासन लगातार अवैध प्रवासियों को उनके देश डिपोर्ट करना शुरू कर दिया है। इसका असर भारत पर भी होगा।
हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी कहा था कि भारत बिना दस्तावेज वाले भारतीयों को वापस लाने में अमेरिका के साथ सहयोग करेगा। जयशंकर ने भारत के रुख को साफ करते हुए कहा कि नई दिल्ली अमेरिका समेत विदेशों में ‘अवैध रूप से’ रह रहे भारतीय नागरिकों की ‘वैध वापसी’ के लिए तैयार है।